New Delhi – जम्मू-कश्मीर के पूर्व CM उमर अब्दुल्ला से 12 साल पुराने जम्मू-कश्मीर बैंक के मनी लॉन्ड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पूछताछ की। 5 घंटे चली पूछताछ के बाद अब्दुल्ला ने कहा- मैं इस मामले में आरोपी नहीं हूं। ED को जब भी जरूरत होगी तो मैं मदद करूंगा। इधर, अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने रमजान माह में उन्हें बुलाने पर नाराजगी जताई है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस ने ED के इस कदम को केंद्र की साजिश बताया है। उन्होंने कहा कि इस तरह मुख्यमंत्री को रमजान के पवित्र महीने में बुलाकर ED ने उनका अपमान किया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं ने कहा कि सरकार केंद्रीय जांच एजेंसियों का लगातार दुरुपयोग कर रही है।
जानकारी के मुताबिक, ये मामला 2010 में मुंबई के बांद्रा कुर्ला में 180 करोड़ रुपए में इमारत की खरीद से जुड़ा हुआ है। तब राज्य के तत्कालीन वित्त मंत्री हसीब द्राबू इसके अध्यक्ष थे। उमर ने बताया कि 2012 में मुंबई की इस इमारत के लिए द्राबू की अध्यक्षता में एक दो सदस्यीय समिति का गठन किया गया था और उनकी सिफारिश के आधार पर इमारत की खरीद के लिए मंजूरी दे दी गई थी।
बैंक में तत्कालीन जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री की भूमिका इसके अध्यक्ष की नियुक्ति को मंजूरी देने तक सीमित थी। नियमों की जानकारी रखने वाले बैंक अधिकारियों ने कहा कि बैंक के दिन-प्रतिदिन के संचालन में मुख्यमंत्री की कोई भूमिका नहीं होती है।
2019 में जम्मू कश्मीर के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने इस मामले के संबंध में बैंक और उसके कर्मचारियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया गया था कि बैंक ने 109 करोड़ रुपये में 42,000 वर्ग फुट की संपत्ति की खरीद को मंजूरी दी थी।
पार्टी के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि पिछले कुछ सालों में हमने देखा कि जिस भी राज्य में चुनाव होने वाले होते हैं, वहां ED, CBI, NIA, NCB जैसी सरकारी एजेंसियां आगे बढ़कर उन पार्टियों को निशाना बनाती हैं जो भाजपा को चुनौती देती हैं। केंद्र सरकार आगामी केंद्र शासित प्रदेश के चुनावों की संभावित घोषणा से पहले विपक्ष की आवाज को दबाने का प्रयास कर रही है। इससे भाजपा को कोई खास फायदा नहीं मिलेगा और लोग नेशनल कॉन्फ्रेंस को जोरदार समर्थन करेंगे।