कृषि कानूनों के विरोध में 18 दिनों से प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में पंजाब के डीआईजी (जेल) लखमिंदर सिंह जाखड़ ने इस्तीफा दे दिया है। डीआईजी ने कहा, ‘मैंने सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं और इसलिए, मुझे नहीं लगता कि मेरे इस्तीफे को स्वीकार करने में कोई परेशानी होगी।’ अपने इस्तीफे पत्र में, जाखड़ ने नोटिस पीरियड की तीन महीनों की सैलरी और अन्य बकाया जमा करने की पेशकश की, ताकि उन्हें जल्द से जल्द राहत दी जा सके।

बता दें कि जाखड़ को मई में भ्रष्टाचार के आरोपों में निलंबित कर दिया गया था। हालांकि 56 वर्षीय अधिकारी की दो महीने पहले बहाली हो गई थी। जाखड़ ने 1989-1994 तक 14 पंजाब (नाभा अकाल) रेजिमेंट में बतौर कैप्टन शॉर्ट सर्विस कमीशन ऑफिसर के रूप में काम किया और बाद में पंजाब पुलिस में भर्ती हुए। इससे पहले पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने केंद्र के कृषि कानूनों के विरोध में अपना पद्म विभूषण पुरस्कार लौटा दिया था।

जाखड़ ने कहा, ‘मैं पहले एक किसान हूं और बाद में पुलिस अधिकारी। आज मुझे जो भी पद मिला है, वह इसलिए कि मेरे पिता ने खेतों में एक किसान के रूप में काम किया और उन्होंने मुझे पढ़ाया-लिखाया। इसलिए खेती मेरे लिए सब कुछ है। जेल के सहायक पुलिस महानिदेशक परवीन कुमार सिन्हा ने कहा कि जाखड़ ने प्रिंसिपल सेक्रटरी (जेल) डीके तिवारी ने अपना इस्तीफा सौंपा है। वर्तमान में वह चंडीगढ़ मुख्यालय में तैनात थे।

SAD (डेमोक्रेटिक) नेता सुखदेव सिंह ढींडसा ने भी घोषणा की थी कि वह किसानों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए पद्म भूषण पुरस्कार लौटाएंगे। पंजाब के कई अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों ने भी किसान आंदोलन को अपना समर्थन दिया है। प्रख्यात पंजाबी कवि सुरजीत पातर ने भी अपने पद्म श्री पुरस्कार को वापस करने के फैसले की घोषणा की थी।

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