प्रतापगढ़ के लालगंज कोतवाली में तैनात सिपाही आशुतोष यादव (24) ने शुक्रवार शाम बैरक की तीसरी मंजिल पर खुद को गोली से उड़ा दिया। सात घंटे बाद पुलिस को घटना की जानकारी हो सकी। बैरक की तीसरी मंजिल की सीढ़ी पर उसका शव मिलने पर हड़कंप मच गया। मृतक सिपाही गाजीपुर जिले का रहने वाला था।
गाजीपुर जिले के खानपुर थाना क्षेत्र के खरौना निवासी आशुतोष यादव पुत्र अखिलेश यादव लालगंज कोतवाली में सिपाही था। शुक्रवार को प्रभारी निरीक्षक राकेश भारती के साथ उसकी हमराही में ड्यूटी लगी थी। कार्यालय से एके-47 लेकर वह सुबह 11 बजे निकला। उसके बाद उसका कुछ पता नहीं चला। उसका मोबाइल भी बंद था। शाम साढ़े छह बजे एक पुलिसकर्मी बैरक की छत पर गया तो उसका रक्तरंजित शव सीढ़ी पर पड़ा था। करीब सात घंटे बाद पुलिस को घटना की जानकारी हो सकी। बगल में ही उसकी एके-47 पड़ी मिली। बुलेट का एक खोखा भी बरामद हुआ।
प्रभारी निरीक्षक ने सिपाही का शव मिलने की सूचना अफसरों को दी। इस पर सीओ जगमोहन व अपर पुलिस अधीक्षक दिनेश द्विवेदी मौके पर पहुंचे। करीब एक घंटे बाद पुलिस अधीक्षक अनुराग आर्य भी फोरेंसिक एक्सपर्ट की टीम के साथ पहुंचे और घटना का जायजा लिया। सिपाही के परिजनों को सूचना दे दी गई है।
सिपाही की मौत को लेकर छानबीन की जा रही है। पूछताछ में साथी सिपाहियों ने किसी कारण वश उसके परेशान रहने की जानकारी दी है। कुछ दिनों पहले ही वह छुट्टी से लौटकर ड्यूटी पर आया था।
आशुतोष यादव 2018 बैच का सिपाही था। लालगंज कोतवाली में 16 फरवरी 2019 को उसे पहली तैनाती मिली थी। नौकरी पाने के बाद वह बहुत खुश रहता था। कुछ दिनों से वह तनाव में था। साथियों ने उससे इस बारे में कई बार पूछा, लेकिन उसने कोई जानकारी नहीं दी। अभी 17 सितंबर को ही उसने छुट्टी से लौटने के बाद ड्यूटी ज्वाइन की थी।
साथी पुलिसकर्मियों से उसने दूरी बना ली थी। हल्का नंबर चार में उसकी नियमित तैनाती थी, लेकिन शुक्रवार को उसकी ड्यूटी कोतवाल के साथ हमराह के रूप में लग गई। ड्यूटी लगने के बाद कार्यालय से जब वह एके-47 लेकर निकला तो किसी तो नहीं मालूम था कि उसके दिमाग में क्या चल रहा है। कोतवाल लोगों की समस्याएं सुनने लगे तो वह परिसर के पीछे बिना किसी को कुछ बताए बैरक में चला गया। बताया जाता है कि बैरक की तीसरी मंजिल पर सीढ़ी पर बैठकर उसने एके-47 को गर्दन से कनपटी के बीच रखकर खुद को गोली मार ली।
उसे अपना मोबाइल फोन भी बंद कर लिया था। पुलिसकर्मियों को दोपहर में गोली की आवाज सुनाई दी। इस पर उन्होंने कोतवाली के पीछे बने बैरक में जाकर देखा तो वहां कुछ नहीं मिला। जिसके बाद पुलिसकर्मी अपने काम में जुट गए। घटना के लगभग सात घंटे बाद उसका रक्तरंजित शव मिला।
सिपाही के आत्महत्या करने की जानकारी पर पहुंचे पुलिस अधीक्षक अनुराग आर्य ने लगभग आधे घंटे तक छानबीन की। सिपाही की बैरक में रहने वाले साथी पुलिसकर्मियों से भी उन्होंने पूछताछ की। घटना की जांच के बाद एसपी ने बताया कि सिपाही के शव का पोस्टमार्टम जिला अस्पताल में वीडियोग्राफी के बीच कराया जाएगा। इसके लिए चिकित्सकों का पैनल गठित करने के लिए सीएमओ से कहा जाएगा।
कोतवाली में सुबह कोतवाल के हमराही के रूप में ड्यूटी ज्वाइन करने के बाद सिपाही ने अचानक खुदकुशी क्यों की, यह किसी की समझ में नही आ रहा है। सुबह उठने के बाद उसने नाश्ता किया और फिर बाद में खाना भी खाया। फिर अचानक ऐसा क्या हो गया कि उसने बैरक में जाकर खुद को गोली से उड़ा लिया। कोतवाली में उसकी किसी से कोई बातचीत भी नहीं हुई। पुलिस भी इस बार में कुछ नहीं बता सकी। अब उसके मोबाइल फोन से मौत का रहस्य खुल सकेगा।