कोरोना कर्फ्यू में कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने को अन्य प्रांतों में रोडवेज बसों के आवागमन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, लेकिन प्रदेश के अंदर चल रही बसों में कोविड-19 के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। बसों में निर्धारित सीटों से केवल पचास फीसद सवारी बैठाई जा सकती हैं, लेकिन यहां तो क्षमता से अधिक सवारियां बैठा रहे हैं। न तो सवारियों पर मास्क है और न ही चालक और परिचालक ही पहन रहे हैं।
कोरोना संक्रमण बेकाबू होने पर सरकार ने कोरोना कर्फ्यू लगाया। रोडवेज बसों को भी केवल प्रदेश में चलाने की अनुमति दी गई। दूसरे प्रदेशों की बसों का आवागमन बंद हो गया। इसके बाद भी कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन बसों में नहीं हो रहा है।
खासकर हाईवे से सीधे जाने वाली बसों में प्रवेश के दौरान शारीरिक दूरी का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। ज्यादातर यात्री सफर के दौरान मास्क तक नहीं लगा रहे हैं। बस में प्रवेश करते समय यात्रियों के हाथ सैनिटाइज कराने की व्यवस्था थी, लेकिन यहां तो वह भी नहीं कराए जा रहे। परिवहन निगम के अधिकारियों ने भी आंखें बंद कर रखी हैं। परिवहन अधिकरी का कहना है कि गाजियाबाद व मेरठ डिपो से सभी बसों को कोविड-19 गाइडलाइन का पालन कराते हुए चलाया जा रहा है। यदि हाईवे से सीधे जाने वाली बसों में कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन नहीं हो रहा है तो टीआई को चेकिंग के आदेश दिए जाएंगे।
बीस फीसद यात्री ही कर रहे यात्रा
कोरोना कर्फ्यू के दौरान बीस फीसद यात्री ही यात्रा कर रहे हैं। होली के निकट यात्रियों की संख्या करीब 14.15 हजार तक पहुंच गई थी। अप्रैल के अंत में भी करीब 10.12 हजार यात्री यात्रा कर रहे थे। अब करीब बीस फीसद यात्री ही यात्रा कर रहे हैं। निगम की सीमित ही बसों का ही संचालन किया जा रहा है।
आटो में भी उड़ रहीं नियमों की धज्जियां
रोडवेज बसें ही नहीं आटो में भी कोविड-19 के नियमों की धज्जियां उड़ रही हैं। आटो में क्षमता से अधिक सवारियां बैठाई जा रही हैं, उनमें न तो शारीरिक दूरी का पालन किया जा रहा है और न ही यात्री मास्क लगा रहे हैं। चैराहों पर खड़े ट्रैफिक पुलिसकर्मी भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे।