मोदीनगर। कोरोना ने लोगों की सोच में बहुत से बदलाव किए हैं। इसमें से एक बदलाव परिवार की आर्थिक सुरक्षा को लेकर भी है। यही वजह है कि बैंक खातों और बीमा पॉलिसी में नामिनी का नाम बढ़वाने पर लोग जोर देने लगे हैं। बीते दिनों में दस से पंद्रह फीसद आवेदनों में इजाफा हुआ है।
अचानक किसी अप्रिय स्थिति का सामना होने के बाद परिवार परेशान न हो, इसके लिए जिन लोगों ने वर्षों से अपने बैंक खातों में नामिनी नहीं शामिल कराए थे, वे अपने बैंक खातों में उनके नाम शामिल कराने के लिए आवेदन कर रहे हैैं। इसके अलावा कोरोना में जिन नामिनी का निधन हो गया है, उनके नाम भी बदलवाए जा रहे हैं। बैंक में खाता खुलवाने के बाद अक्सर लोग इस बात का ध्यान ही नहीं देते थे, कि उनके अकाउंट में कोई नामिनी है या नहीं। खाताधारक के निधन के बाद परिवार के सभी सदस्यों को पारिवारिक सदस्यता प्रमाण पत्र देना पड़ता था। राशि ज्यादा होने पर कोर्ट से उत्तराधिकार प्रमाण पत्र लेकर बैंक को देना होता था। इसको लेकर इस समय बहुत से परिवार परेशान हैं। खातों में नामिनी का नाम जोडने के लिए फार्म डीए-1 भरे जा रहे हैं।
बैंक कर्मियों के मुताबिक पहले माह में एक.दो लोग इसके लिए आते थे, अब यह संख्या 10 से 15 हो गई है। शहर में दो दर्जन से अधिक शाखाएं हैं और मई और जून में मिलाकर अब तक करीब एक हजार लोग अपने फार्म भर चुके हैं। इसी तरह जिन खाताधारक के नामिनी का निधन हो गया है, वे भी अपने नामिनी के नाम बदल रहे हैं। इसकी रफ्तार भी पहले के मुकाबले 10 से 15 गुना बढ़ चुकी है। एसबीआई की शाखा प्रबंधक निमिशा कन्नौजिया के मुताबिक लोगों को अपने खाते में नामिनी को जरूर रखना चाहिए। किसी अप्रिय घटना के बाद कम से कम परिजनों को बैंक से उस रकम को वापस लेने में मुश्किल नहीं होगी। अनुमान के मुताबिक पहले एक माह में वसीयत के करीब 10 से 5 मामले आते थे। अब यह बढ़कर ढाई दर्जन से ज्यादा हो गए हैं।

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