मोदीनगर। फीस को लेकर जारी शासनादेश के बाद अभिभावकों ने कहा कि अप्रैल में ही बढ़ाकर फीस ली जा चुकी है। इससे अभिभावकों को बहुत ज्यादा फायदा नहीं होगा। वहीं कान्वेंट स्कूलों के साथ-साथ महाविद्यालयों में भी कक्षाएं गुरुवार से शुरू हो चुकी है। स्कूल संचालकों के मुताबिक ऑनलाइन पढ़ाई पर ही निर्भर रहना होगा। अब स्कूल भी अध्यादेश के तहत पढ़ाई कर रहा हैं। 12वीं तक कक्षाएं ऑनलाइन शुरू हो चुकी हैं।
वहीं फीस संबधी शासनादेश को लेकर अभिभावकों ने ऊंट के मुंह में जीरा बताया। शासनादेश के अनुसार 2019-20 की शुल्क संरचना के आधार पर फीस ली जाएगी। लेकिन इसमें अभिभावकों कोई फायदा नहीं होने वाला है। सिर्फ मामूली राहत मिलेगी। शासनदेश के अनुसार बंद गतिविधियों जैसे खेल, साइंस लैब, लाइब्रेरी, कंप्यूटर, वार्षिक समारोह व ट्रांसपोर्ट फीस लेने पर पूरी तरह से रोक लगाई है।
5 प्रतिशत कटौती करके स्कूल छह अगस्त तक बराबर किस्तों में फीस वसूल करेंगे। अभिभावकों का कहना है कि अप्रैल में बढ़ाकर फीस जमा कराई गई। बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन ज्यादा बेहतर नहीं हो पा रही है। जबकि स्कूल संचालकों का कहना है कि ऑनलाइन पढ़ाई को बहुत ही गंभीरता से कराया जा रहा है। किसी भी तरह की फीस नहीं बढ़ाई गई है।
विवि और महाविद्यालयों में भी ऑनलाइन कक्षाएं शुरु हो गयीं हैं। अभी कुछ समय के लिए यहां पर भी कक्षाओं को रोक दिया गया था। क्या छात्र-छात्राओं के लिए ऑनलाइन हो रही पढ़ाई ही ठीक है। या इसके अलावा भी कोर्स से संबंधित अलग से छात्रों के लिए कराया जाएगा। इस संबंध प्रो0 राजपाल त्यागी का कहना है कि जो अध्यादेश हमें दिया जाता है। उसके अनुसार ही हम छात्र-छात्राओं को पढ़ा रहे हैं। इसमें उनका सिलेबस एवं अन्य गतिविधियां शामिल है। लेकिन छात्र-छात्राओं को खुद से भी पढ़कर फिजिकली उन विषयों या टॉपिक पर चर्चा करनी होगी। क्योंकि ऑनलाइन बेहतर है। लेकिन यह उतना ही पढ़ाया जा सकता है। जितना यूनिवर्सिटी या विवि के विभागाध्यक्षों को दिया जाता है।
छाया पब्लिक सकूल के प्रशासनिक अधिकारी डाॅॅ0 अरूण त्यागी कहते है कि ऑनलाइन कक्षाएं तो शुरू हो चुकी हैं। लेकिन फीस में किसी भी प्रकार वृद्धि नहीं हुई है। फीस अध्यादेश के हिसाब से ही ली जाएगी। किसी से अतिरिक्त फीस नहीं ली जाएगी।
अभिभावक मुकेश अग्रवाल कहते है कि मेरे दोनों बच्चे सेंट टरेंसा पब्लिक सकूल में पढ़ते हैं। दोनों ही बच्चों की फीस बढ़कर जमा की गई है। अभिभावक काफी परेशान है। आनलाइन कक्षाओं की बात करें तो खानापूर्ति की जा रही है। जबकि ऑनलाइन के नाम पर पैसे भी बढ़कर लिए जा रहे हैं। कोरेाना की वजह से बच्चों का भविष्य ही चैपट हो रहा है।