नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) ने दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस-वे को बनाने की दिशा में काम तेज कर दिया है। पहले चरण के बाद अब ईस्टर्न पेरिफरल से देहारदून के बीच बनने वाले छह लेन एक्सप्रेस-वे को सड़क एवं परिवहन मंत्रालय की तरफ से वित्तीय स्वीकृति मिल गई है।
यह एक्सप्रेस-वे मौजूदा चार लेन हाईवे से अलग बनाया जाएगा, जिसके पहले चरण में अक्षरधाम से ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे बागपत (टोल) तक करीब 34 किमी के हिस्से को लेकर 30 सितंबर तक टेंडर मांगे गए हैं, जिनके खुलने के बाद निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।
उसके बाद के चरणों को लेकर अब जल्द ही जमीन खरीद प्रक्रिया तेजी से शुरू होगी। उसके बाद निर्माण को लेकर टेंडर आमंत्रित किए जाएंगे। इस एक्सप्रेस-वे के तैयार हो जाने पर गाजियाबाद और दिल्ली से देहरादून की दूरी महज ढाई घंटे में तय की जा सकेगी, जिसे अभी तय करने में पांच से सात घंटे लगते हैं।
पहले चरण में अक्षरधाम से ईस्टर्न टोल तक करीब 32 किमी की एक्सप्रेस-वे तैयार किया जाना है। इसमें से 17 किमी की हिस्सा एलिवेटेड है। पहले चरण को लेकर सभी तकनीकी काम हो चुके हैं। अब बस टेंडर प्रक्रिया पाइप लाइन में है।
दूसरे चरण में बागपत से सहारनपुर और तीसरे चरण में सहारनपुर (गणेशपुर) से देहरादून का एक्सप्रेस-वे होगा। 180 किमी लंबे इस एक्सप्रेस-वे को आर्थिक गलियारे के तौर पर भी देखा जा रहा है। अभी तक दिल्ली से देहरादून के बीच की दूरी करीब 248 किमी है, जो 68 किमी कम हो जाएगी। दूसरे और तीसरे चरण का एक्सप्रेस-वे नए सिरे से जमीन लेकर बनाया जाना है
उत्तराखंड सरकार चाहती है कि एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य तेजी से हो। इसी को ध्यान में रखकर एनएचएआई चेयरमैन सुखबीर सिंह संधु स्वयं एक्सप्रेस-वे के काम की मॉनीटिरंग कर रहे है
क्योंकि उत्तराखंड में कुछ जगहों पर वन्य भूमि को लेकर दिक्कतें आ रही थे लेकिन अब सरकार की तरफ से क्लीयरेंस मिलने के बाद मंत्रालय ने अपनी स्तर पर कार्रवाई तेज कर दी है। डीपीआर तैयार होने के बाद उसे मंत्रालय ने वित्तीय स्वीकृति प्रदान कर दी है। पहले एक्सप्रेस-वे 2025 तक तैयार करने का लक्ष्य रखा गया था, जिसे घटाकर अब 2024 कर दिया गया है।
गाजियाबाद के साथ बागपत, शामली, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर सीधे दिल्ली से जुड़ जाएगा। माना जा रहा है कि एक्सप्रेस-वे के तैयार हो जाने में बड़ी संख्या में इंडस्ट्री और अन्य व्यावसायिक गतिविधियों के लिए लोग पश्चिमी यूपी के इन जिलों का रुख करेगा। एक्सप्रेस को ईस्टर्न पेरिफरल से इंटर कनेक्ट किया जाएगा। इससे भी आर्थिक तौर पर बड़ा लाभ मिलने की संभावना है।
पहले चरण को लेकर वित्तीय स्वीकृति काफी पहले मिल चुकी है,जिसके लिए 30 सितंबर तक डेंटर मांगे गए है। दूसरे और तीसरे चरण को लेकर अब मंत्रालय ने वित्तीय स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके बाद जमीन खरीद प्रक्रिया समेत अन्य टेंडर का काम जल्द शुरू होगा। अब सबसे पहले जमीन खरीदी जाएगी। एनएचएआई ने देहारदून एक्सप्रेस-वे का काम 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है