कोरोना महामारी के चलते पैदा हुए आर्थिक संकट के बीच कर्मचारी भविष्य निधि संगठन आम लोगों के लिए मददगार साबित हो रहा है। उद्योग-धंधे चौपट होने और रोजगार छिनने के कारण बड़ी संख्या में लोगों ने पीएफ का सहारा लिया और खातों में जमा पूंजी निकालकर जीवनयापन कर रहे हैं। वहीं कई कंपनियों द्वारा समय से राशि जमा नहीं किए जाने से पीएफ विभाग की परेशानी बढ़ी है।

पिछले सालों की तुलना में यह आंकड़ा बहुत अधिक है। उन्होंने बताया कि कोरोना संकट से पहले इतने आवेदन नहीं आए थे। सुशांत कंडवाल ने बताया कि एक जनवरी 2020 से 31 मार्च के बीच करीब 70 हजार लोगों ने 218 करोड़ की जमा राशि निकाली। जबकि लॉकडाउन के बाद यह राशि दोगुनी से ज्यादा हो गई।

क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त-2 सुशांत कंडवाल के अनुसार एक अप्रैल से 31 अगस्त तक करीब एक लाख 60 हजार से ज्यादा लोगों ने पीएफ राशि निकालने के लिए आवेदन किया। इन सभी के एडवांस क्लेम का विभाग ने निपटारा किया। करीब 442 करोड़ से ज्यादा राशि आवंटित की गई।

लॉकडाउन में एक ओर जहां कई लोगों की नौकरियां चली गईं, वहीं कम वेतन मिलने या समय पर नहीं मिलने संबंधी परेशानियां भी आईं। ऐसे में पैसों की जरूरत पड़ने पर लोग पीएफ का सहारा ले रहे हैं। बदली परिस्थितियों को देखते हुए सरकार ने पीएफ निकासी के नियमों में भी छूट दी है।

ढाई हजार कंपनियों ने जमा नहीं की राशि
जहां पीएफ निकालने वालों की संख्या बढ़ी है वहीं जिले की छोटी कंपनियों द्वारा समय से पीएफ भुगतान नहीं करना विभाग के लिए परेशानी का कारण बन रहा है। कोरोना काल के दौरान नोएडा की करीब ढाई हजार कंपनियों ने कर्मचारियों की पीएफ राशि जमा नहीं कराई है। क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त-2 ने बताया कि ऐसी कंपनियों को नोटिस भेजे गए हैं।

 

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