एक तो श्मशान, दूसरे मलबे में दबे लोगों को लेकर चहुं ओर चींखपुकार। इस करुण क्रंदन के बीच राहत कार्य में जुटे एनडीआरएफ कर्मियों का भी दिमाग घूम गया। उनके लिए एक एक पल भारी हो रहा था। सबसे बड़ी चुनौती जल्द से जल्द मलबे में दबे लोगों को निकालकर अस्पताल पहुंचाना था। यह कार्य मैन्युअल तरीके से संभव नहीं था। हालात को देखते हुए एनडीआरएफ ने खोजी कुत्ते बुलाए और मैदान में उतार दिया।
इन कुत्तों ने महज आधे घंटे में ही 13 लोगों के मलबे में दबे होने का सुराग दे दिया। इतने के बाद भी एनडीआरएफ की टीम को मलबा हटाकर उन्हें बाहर निकालने में समय लग गया। अस्पताल पहुंचाते पहुंचाते इनमें से ज्यादातर की मौत हो गई। लेकिन चार लोगों को बचाने में सफलता भी मिली है। एनडीआरएफ के अधिकारियों के मुताबिक मलबे में दबे लोगों को निकालने के लिए स्नीफर डॉक्स की दो टीमें लगाई गई थी। प्रत्येक टीम में दो दो कुत्ते थे। इन चारों कुत्तों ने अपनी सूंघने की शक्ति का बेहतर इस्तेमाल कर 13 लोगों को ढूंढने में मदद की है।
भीड़ और चीख पुकार से आई दिक्कत
राहत कार्य में जुटे एनडीआरएफ कर्मियों को मौके पर भीड़ और चीख पुकार से काफी दिक्कतें आई। हालांकि पुलिस बार बार लोगों को श्मशान परिसर से बाहर खदेड़ रही थी, लेकिन हजारों की संख्या में उमड़ी भीड़ टस से मस नहीं हुई। आखिर में पुलिस ने घटना स्थल के आसपास फीता लगाकर बैरिकेटिंग कर दिया।
बारिश ने भी किया परेशान
राहत कार्य के दौरान दो बार मूसलाधार बारिश हुई। इससे राहत दल का काम प्रभावित हुआ। बावजूद इसके एनडीआरएफ के जवान अपने काम में लगे रहे। लैंटर के एक एक टुकड़े को सावधानी से उठाकर उसके नीचे इंसानों की तलाश करते रहे। खुद जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कलानिधि नैथानी भी उनका हौंसला अफजाई करते रहे।
अपनों की तलाश में जेसीबी के पंजे पर टिकी निगाहें
जब जब जेसीबी का पंजा मलबा उठाता, सैकड़ों निगाहें पंजे पर टिक जाती। लोग हर बार यही उम्मीद करते कि इस बार शायद उनका कोई अपना मलबे से बाहर आ जाएगा। जो लोग परिसर के अंदर समा नहीं पा रहे थे, वह श्मशान के बाहर बंबा रोड पर संगम विहार कालोनी तक खड़े होकर पल पल की खबर ले रहे थे।