दिशा भूमि में आज चर्चा शक्ति के उस महापर्व की जो इस बार 17 अक्टूबर से शुरू हो रहा है. हम चर्चा कर रहे हैं माता के भक्तों की श्रद्धा से जुड़े उन नौ दिनों वाले नवरात्रि की जिसकी शुरुआत कल से हो रही है. वर्ष 2020 में शारदीय नवरात्र आठ दिन के होंगे यानी शक्ति की उपासना 24 अक्टूबर तक पूरे विधि-विधान से होगी. इस बार महाअष्टमी और नवमी एक ही तिथि को होगी, इसलिए आपको बताते हैं नवरात्र प्रतिपदा यानि 17 अक्टूबर को आपको कलश स्थापना किस तरह करनी है.

मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए देशभर में भक्ति की शक्ति दिख रही है. कोरोना काल में लोगों को जागरुकता के साथ शक्ति की पूजा के अलग अलग उपाए बताए जा रहे हैं. तो चलिए इसी कड़ी में हम आपको नवरात्र की शुरुआत करने वाली कलश स्थापना की पूरी विधि बताते हैं. साथ ही बताएंगे किस मुहूर्त में कलश स्थापना का सर्वाधिक मंगल फल मिलेगा.

कलश स्थापना का महत्व
हिंदू सनातन धर्म में कलश की स्थापना का बहुत महत्व है. किसी भी शुभ और मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृहप्रवेश आदि में कलश पूजन किया जाता है. नवरात्रि में मां के सभी नौ स्वरुपों की चौकी सजाकर विशेष पूजा की जाती है. नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री के पूजन के साथ घटस्थापना करने का प्रावधान है. मां की चौकी लगाते समय घटस्थापना अवश्य की जाती है. इसके लिए मिट्टी का कुंभ, तांबे या फिर चांदी का लोटा लिया जाता है जिसके ऊपर स्वास्तिक (Swastik) का चिह्न बनाया जाता है और नारियल रखते हुए पूरी आस्था और विश्वास के साथ कलश स्थापित किया जाता है.

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