भाजपा में टिकट के कई रास्ते हैं। भाजपा के पदाधिकारियों से तो पैरवी करनी पड़ती है, आरएसएस का आशीर्वाद भी बहुत जरूरी होता है। आरएसएस के प्रचारकों से भी टिकट के समय मंत्रणा करनी होती है, इसलिए भाजपा के नेताओं ने विधानसभा चुनावों के मद्देनजर संघ के प्रचारकों के चक्कर लगाने शुरू कर दिए हैं। संघ के कार्यक्रमों में भी उनकी सक्रियता बढ़ गई है।
भाजपा ने चुनावी शंखनाद कर दिया है। पार्टी खुलकर मैदान में तो अभी नहीं उतरी है, मगर कार्यक्रमों की श्रृंखला शुरू हो गई है। इससे चुनावी सरगर्मियां तेज हो गईं हैं। दावेदारों ने टिकट के लिए चक्कर लगाना शुरू कर दिया है। प्रदेश अध्यक्ष, प्रदेश संगठन महामंत्री आदि से मुलाकात करनी शुरू कर दी है, जिससे टिकट के समय पदाधिकारी उनके चेहरे को याद रखें। मगर, भाजपा में टिकट की राह इतनी आसान नहीं होती है। टिकट के लिए कई रास्ते होते हैं, जिससे होकर कार्यकर्ता को गुजरना पड़ता है। पार्टी में किसी भी कार्यकर्ता को टिकट के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का आशीर्वाद लेना होता है। संघ के पदाधिकारियों के बिना टिकट संभव नहीं होता है। संघ की रचना में हर एक पदाधिकारी महत्वपूर्ण होता है। संघ में प्रचारक से पहले विस्तारक निकाले जाते हैं। इनका प्रमुख कार्य विद्यार्थियों के बीच में होता है। यह विद्यार्थियों के बीच में रहकर संघ का कार्य करते हैं, मगर भाजपा के कार्यकर्ता को विस्तारक से भी संबंध मधुर रखने होते हैं। कई बार टिकट के समय उनकी भी अहम भूमिका रहती है। इसके बाद महानगर प्रचारक, जिला प्रचारक होते हैं, उनसे भी संपर्क और संवाद अच्छा रखना होता है। विभाग प्रचारक की भूमिका सबसे अहम होती है। टिकट के लिए उनकी मुहर बहुत जरूरी होती है। इसलिए विभाग प्रचारक की पैरवी के लिए भाजपा नेता संघ कार्यालय से लेकर संघ स्थान तक सक्रिय रहते हैं, जिससे विभाग प्रचारक से संबंध मधुर बने रहे। इसके बाद प्रांत प्रचारक होते हैं। प्रांत प्रचारक भी टिकट की कड़ी में अहम माने जाते हैं। उनकी जिम्मेदारी भले ही बड़ी हो, मगर उनकी नजर पूरे प्रत्येक जनपद पर होती है। फिर क्षेत्र प्रचारक की मुहर लगनी जरूरी होती है।
ऐसा बताया जाता है कि क्षेत्र प्रचारक भाजपा के पदाधिकारियों के साथ बैठक करते हैं और उसके बाद प्रत्याशी के नामों पर अंतिम मुहर लगती है। इसके अलावा भी भाजपा नेता को संघ के कार्यवाह, संघ चालकों से भी संपर्क रखने पड़ते हैं। विश्व हिंदू परिषद, विद्यार्थी परिषद, मजदूर संघ, किसान संघ, सेवा भारती आदि विविध क्षेत्र के प्रचारकों की भी कई बार भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। वो संघ के पदाधिकारियों से अपनी बात रखते हैं। इसलिए भाजपा में टिकट की राह बहुत आसान नहीं होती है। नेताओं को तमाम प्रक्रियाओं से होकर गुजरना पड़ता है। हालांकि, भाजपा नेताओं ने संघ के पदाधिकारियों से संपर्क और संवाद तेज कर दिया है। दिसंबर के बाद से टिकट की प्रक्रिया तेज हो जाएगी।