मोदीनगर। खेती, मजदूरी कर परिवार पालने वाले व शैक्षिक रूप से कम मजबूत लोगों के कंधों पर अब गृहकार्य का बोझ भी आ गया है। बोझ भी आया तो अनिवार्यता की पाबंदी के साथ आया। मगर कोरोना संक्रमण काल में स्थितियों के हिसाब से सीमित संसाधनों में लक्ष्य को पूरा करने के उद्देश्य से ये कदम उठाना जरूरी भी है। इससे ग्रामीण क्षेत्र के खास वर्ग व उनके बच्चों को लाभ दिलाने का उद्देश्य है। इस काम की निगरानी शिक्षा विभाग के अधिकारियों की ओर से की जाएगी।
अभिभावकों को स्कूल बुलाकर काम दिया जाएगा
एक जुलाई से जब शैक्षणिक संस्थान खुल गए हैं तो इस प्रक्रिया की शुरुआत भी करने की ओर कदम बढ़ाए गए हैं। कक्षा एक से आठवीं तक के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की आॅनलाइन पढ़ाई भी ठीक से नहीं हो पा रही है। ऐसे में शासन स्तर से व्यवस्था की गई है कि विद्यार्थियों को मौहल्ला पाठशाला के जरिए पढ़ाई कराई जाए। साथ ही ई-पाठशाला के जरिए उनको आॅनलाइन पढ़ाई कराई जा रही है। मगर ई-पाठशाला व मौहल्ला पाठशाला के जरिए पढ़ाई के दौरान विद्यार्थियों को होमवर्क भी दिया जाएगा। इससे उनकी शिक्षा में निरंतरता बनी रहेगी। मगर होमवर्क देने की इस प्रक्रिया में अभिभावकों की उपस्थिति भी अनिवार्य की गई है। अभिभावकों की मौजूदगी में विद्यार्थियों को होमवर्क दिया जाएगा। वो होमवर्क पूरा कराकर उसको अभिभावक शिक्षकों के पास ही देेने भी आएंगे। फिर शिक्षक उस होमवर्क को चेक करके बच्चों का मूल्यांकन करेंगे। इसके साथ ही विद्यालय खुलने शुरू होते ही नई व्यवस्था भी बनाई जा रही है। क्योंकि बच्चों को विद्यालय नहीं बुलाया जा रहा है इसलिए उनके माता-पिता या किसी परिजन को विद्यालय बुलाकर होमवर्क दिया जाएगा। दो दिन बाद किए हुए होमवर्क को जमा कर नया कार्य दिया जाएगा। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थी किसान व मजदूरी करने वालों के परिवार से होते हैं। ऐसे में होमवर्क की जिम्मेदारी इनके कंधों पर आ गई है। खण्ड शिक्षा अधिकारी अनीता गुप्ता ने कहा कि विद्यार्थियों की पढ़ाई निरंतरता में बनी रहे इसलिए उनको होमवर्क उपलब्ध कराने की योजना बनाई गई है। संक्रमण काल के चलते विद्यार्थियों को नहीं बुलाया जा सकता, इसलिए उनके अभिभावकों को बुलाकर होमवर्क दिया जाएगा।