शुक्रवार की प्रातः से ही मोदी मंदिर, बाड़ा शिव मंदिर, चैरासी घंटेश्वर शिव मंदिर व छतरी वाला शिव मंदिर आदि में शिव भक्तों को ताता लगा रहा। शिवभक्तों ने भगवान शिव की आराधना के बाद जलाभिषेक किया और मिन्नत मांगी। भगवान भोले शंकर के विवाहोत्सव की रात्रि यानि महाशिवरात्रि पर्व ही नगर व देहात के प्रमुख शिवालयों में ब्रह्ममुहूर्त से ही जलाभिषेक शुरू हो गया। बोल बम हर-हर महादेव ऊॅ नमः शिवायं भोले तेरी जय जयकार के जयकारों से शिवालय गुंजायमान हो उठे। माताऐं, बहनें, बच्चे, बूढे, वृद्ध सभी भोर में स्नानादि से निवृत्त होकर पूजा अर्जन के लिये मंदिरों में हाथो में थाली लिये बढ़ते दिखाई दिये। जहाँ भक्तजनों ने जलाभिषेक व दुग्धाभिषेक के साथ शिवलिंग को चंदन का तिलक लगाकर पुष्प मालाएं व फल अर्पित कर भगवान की पूजा की ओर मनोकाएनाएं रखी। वही अनेक भक्तजनों ने इस वर्त को पूरी निष्ठा, श्रृद्धा से अपनाया।
शिव रात्री पर क्या बोले पंड़ित उदय चन्द्र शास्त्री
हरमुखपुरी स्थित गणेश मंदिर के पंड़ित उदय चन्द्र शास्त्री ने बताया कि सावन के महीने में भगवान शिव पृथ्वी पर मौजूद सभी शिवलिंग में मौजूद होते हैं। इसलिए सावन की शिवरात्रि पर इनकी पूजा अधिक फलदायी मानी जाती है। सावन शिवरात्रि पर सर्वार्थ योग का समय सुबह छह बजकर 37 मिनट से अगले दिन सूर्योदय तक रहेगा। सावन मास की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। चतुर्दशी की तिथि का आरंभ शुक्रवार सांय छह बजकर 28 मिनट से शुरू हुआ और चतुर्दशी की तिथि का समापन सात अगस्त 2021 को सांय 7 बजकर 11 मिनट पर होगा। शुक्रवार की सुबह से ही इस खास दिन पर शवि मंदिरों में जलाभिषेक क के लिए लाइन लगी रही। भक्तों ने भगवान शवि की आराधना की। भक्तों की भीड़ न लगने पाए इसलएि मंदरिों में पूरी व्यवस्था की गई थी।
इसी महीने में भगवान शवि ने दिया था वरदान
इसी महीने में देवी पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने देवी पार्वती को अर्धांगिनी यानी पत्नी बनाने का वरदान दिया था। साथ ही देवी पार्वती को यह भी वचन दिया था, कि जो भक्त सावन में उनकी भक्ति करेंगे उनकी भक्ति निरर्थक नहीं होगी यानी असफल नहीं होगी। सावन के महीने में भगवान शिव अपने रुद्र रूप से सृष्टि का संचालन करते हैं और पृथ्वी पर मौजूद सभी शिवलिंग में मौजूद होते हैं। इसलिए सावन की शिवरात्रि पर इनकी पूजा अधिक फलदायी मानी जाती है।