‘संस्कृत सामान्य जन की भाषा बने’ विषय में गोष्ठी संपन्न
कोरोना काल के बाद कार्यकर्ताओं में नया उत्साह और संचार उत्पन्न करने तथा संस्कृत को सामान्य जनभाषा बनाने के लिए प्रयत्नरत संस्कृतभारती द्वारा मोदीनगर के तिबड़ा मार्ग स्थित आर्य समाज मन्दिर में सायंकालीन गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमे सभी अतिथियों का परिचय मोदीनगर के शिक्षण प्रमुख शशिकांत जी के द्वारा किया गया। जिसमें संस्कृतभारती के नगरप्रमुख गोपालकौशिक जी ने सभी कार्यकर्ताओं के विचारों को सुना और उन्हें संबोधित करते हुए आगामी योजनाओं पर अपने विचार प्रकट किए । साथ ही यह भी बताया कि विवेककौशिक जी
(विस्तारक-संस्कृतभारती-गाजियाबाद-मेरठप्रान्त) का अब स्थान और दायित्व परिवर्तन हो गया है । विवेक जी का केंद्र बिहार के मुजफ्फरपुर जिला रहेगा। वे उत्तर बिहारप्रान्त के संगठनमंत्री (दायित्व) हो गये हैं।
मोदीनगर के संपर्क प्रमुख और विद्यालय सम्पर्क प्रमुख क्रमशः उदय झा और मनीष कुमार मिश्र ने पुष्पगुच्छ द्वारा उनका स्वागत कर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि संस्कृत के ऑफलाइन प्रचार प्रसार के बाद अब ऑनलाइन विकल्प भी सामान्य जन तक पहुंचने में उपयोगी सिद्ध होगा और विवेक जी हमारे बड़े भाई के समान हैं, सदा हमारे मार्गदर्शन करते आयें है और आगे भी करते रहेंगें। साप्ताहिक कक्षा की शिक्षिका शालिनी जी और मुरादनगर से आए हुए कार्यकर्ता हृदयांश जी ने वस्त्र से स्वागत कर बताया कि हमें विद्यालय में पढ़ाने वाले अध्यापकों को संस्कृत के उन छोटे-छोटे बिंदु से अवगत कराना होगा जो छात्रों के लिए संस्कृत को रुचिकर बनाने में सहायक सिद्ध होंगे।
इस गोष्ठी में विवेक जी ने नरेंद्र सैनी जी का परिचय कराया जो वर्तमान समय में नोएडा में विस्तारक हैं और अब गाजियाबाद में भी संस्कृत के प्रचार प्रसार के कार्य को देखेंगे ।
संस्कृत को सामान्य जन तक पहुंचाने और प्रिय बनाने के लिए हम किस प्रकार से अपना सहयोग दे सकते हैं और इस विषय में कौन से नए बिंदु हमारे सहायक सिद्ध होंगे इस विषय पर अपने विचार प्रकट करते हुए सभी कार्यकर्ताओं से चर्चा की ।
कीर्ति और मनेंद्र आर्य सहित अन्य कार्यकर्ताओं ने विवेक जी के जाने का दुख और नरेंद्र सैनी जी के आने पर प्रसन्नता प्रकट की ।