शपथ ग्रहण के बाद नए ग्राम प्रधानों को बस्ता मिलने लगा है। इसके बाद कई नए प्रधान प्रशासकों से हिसाब लेने के लिए तैयार बैठे हैं।
मोदीनगर के ब्लाक भोजपुर में सहायक विकास अधिकारियों को पूरे ब्लाकों के गांवों का प्रशासक बनाया गया था। प्रशासकों ने पिछले चार महीने में अनाप-शनाप सरकारी धनराशि खर्च की है। एक-एक दिन में लाखों का भुगतान कर दिये जाने की चर्चा है। इसे लेकर सवाल भी खड़े हो रहे हैं। कई प्रशासकों के खिलाफ जांच होना तय माना जा रहा है। 25 दिसंबर की रात को प्रधानों का कार्यकाल खत्म हो गया था। प्रधानों का कार्यकाल खत्म होने के बाद पिछले पांच महीने से ग्राम पंचायतों की बागडोर प्रशासकों के पास थी। प्रशासकों ने इस दौरान अनाप-शनाप धनराशि खर्च की है। पुराने प्रधानों पर मेहरबानी दिखाते हुए उनके भुगतान भी कर डाले।
बताया जा रहा है कि कमीशन के चक्कर में नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं हैं। इसमें कई अधिकारी भी शामिल होने की बात की जा रही है। खंड विकास अधिकारी से लेकर जिला पंचायत राज अधिकारी के दफ्तर के बाबुओं तक को हिस्सा मिला है। पंचायतों के करोड़ों के बंदरबांट में किसी के हाथ खाली नहीं रहे। कोरोना संक्रमण के बीच ग्राम पंचायत निधि के खातों को खाली कर दिया गया। वित्तीय वर्ष के अंतिम दिनों में तो सारे बिलों को हरी झंडी देकर धनराशि निकाल ली गई। बीडीओ फैजल आलम खान ने बताया कि ग्राम प्रधानों की शिकायतें मिलने पर ऐसे मामलों की जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। प्रशासक भी जांच के दायरे में हैं। किसी को बख्शा नहीं जाएगा।