पुलिस द्वारा मृत वृद्धा का अंतिम संस्कार करने के बाद उसकी अस्थियों को गंगा में प्रवाह किए जाने के बाद हिन्दू रीति रिवाज के साथ ही तेहरवीं की रस्म पूरी करने वाले मोदीनगर गोाविन्दपुरी चौकी के प्रभारी राजेश बाबू आज जनपद में ही नही अपितु पूरे प्रदेश में परिचय के मोहताज नही है। उन्होंने एक नई मिशाल पैदा कर नजीर पेश की है।

बताते चले कि कोरोना संक्रमण के कारण जंहा अपने अपनों से ही दूर हो रहे है, वही दिल्ली की एक काॅलोनी निवासी शान्ति देवी नामक एक वृद्वा अपने पुत्र के साथ वर्षों से गोविन्दपुरी चौकी क्षेत्र स्थित गांव बिसोखर में किराए पर रहती थी। कुछ वर्ष पूर्व ही उसके बेटे की सड़क हादसे में दर्दनाक मौत हो गई, तभी से वह यहां अकेली रहती थीं। असहाय वृद्ध महिला की गत सोमवार की सांय आकस्मिक मृत्यु को हो गई। कोरोना संक्रमण के भय के कारण वृद्वा के अंतिम संस्कार को कोई आगे नही आया। जैसे ही इसकी सूचना गोविन्दपुरी पुलिस चौकी प्रभारी राजेश बाबू व सहचौकी प्रभारी धर्मेंद्र बालियान को लगी, तो वह अपने अन्य पुलिस सहायक कर्मीयों के साथ वृद्वा के आवास पर पंहुचे ओर उन्होंने वृद्व मां का अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाज के अनुसार गोविन्दपुरी स्थित श्मशान घाट पर विधि विद्वान के साथ अंतिम संस्कार किया । इतना ही नही उन्होंने निर्धारित समयानुसार उनकी अस्थियों का विसर्जन भी गंगा जी में प्रवाह कर एक मिशाल पैदा करते हुये अन्य पुलिस कर्मीयों के लिए एक नजीर पेश की। चौकी प्रभारी राजेश बाबू ने अपना सामाजिक दायित्व समझते हुए जिस वृद्व मां को कंधा दिया ओर उसका सहारा बन अंतिम संस्कार किया आज उस वृद्वा की तेहरवीं की रस्म भी हिन्दू रीति रिवाज के साथ हवन, यज्ञ व ब्रहमभोज के साथ चौकी में करते हुए 13 ब्रहामणों को ब्रहम भोज कराने व दान दक्षिणा के साथ संपन्न कराई। इतना ही नही उन्होंने कोरोना काल मे काल ग्रसित हुए पुलिसकर्मियों की आत्मा की शांति के लिए भी प्रार्थना की। इस अवसर पर मौजूद कोतवाल मुनेंद्र सिंह, क्षेत्राधिकारी सुनील कुमार सिंह ने राजेश बाबू की भावनाओं की जमकर प्रशंसा की ओर कहा कि अन्य पुलिसकर्मीयों को भी इस तरह के सामाजिक कार्य से सीख लेनी चाहिए।

राजेश बाबू का होगा सम्मान

चौकी क्षेत्र में मृदुभाषी व सादगी के लिए प्रसिद्व राजेश बाबू को इस पुनीत कार्य के लिए पूर्व केन्द्रीय मंत्री व सांसद डाॅ0 सत्यपाल सिंह सहित अनेक नामचीन हस्तियां उनकी प्रशंसा कर रही है, वही कोरोना काल से मुक्ति के बाद कई सामाजिक व धार्मिक संगठनों द्वारा उनको सम्मानित किए जाने की बात कही जा रही है।

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