मोदीनगर। विघ्नहर्ता घर-घर विराजेंगे। भगवान गणेश की स्थापना घरों में करने को मूर्तियां खरीदी गईं। अबकी बार बड़े आयोजनों में झांकियां नहीं सज रही हैं। केवल सुबह-शाम पूजन व आरती के बाद प्रसाद वितरण होगा। पूजन का शुभ मुहूर्त दिन में 12 बजकर 17 मिनट से रात 10 बजे तक शुभ मुहूर्त रहा। भगवान गणेश की स्थाना शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में इसी समय के बीच शुभ मानी गई। पूजा के समय ओम गणपतये नम मंत्र का जप करते हुए गणपति को जल, फूल, अक्षत, चंदन और धूप दीप एवं फल अर्पित कर स्थापित किया गया। प्रसाद के रूप में गणेश भगवान को उनके अति प्रिय मोदक का भोग लगाया गया।
हरमुखपुरी श्री गणेश मंदिर के ज्योतिषाचार्य पंडित उदय चन्द्र शास्त्री ने बताया दस दिन तक चलने वाले गणेश महोत्सव का समापन 19 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन होगा। इसे विनायक चतुर्थी, कलंक चतुर्थी और डण्डा चतुर्थी आदि नामों से भी जाना जाता है। दस दिन तक चलने वाले इस त्योहार पर गणेश भगवान की मूर्ति घर में स्थापित की जाती है। भगवान गणेश की मूर्ति उत्तरी पूर्वी कोने में रखना शुभः गणेश जी की मूर्ति घर के उत्तरी पूर्वी कोने में रखना सबसे शुभ माना जाता है। ये दिशा पूजा-पाठ के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है। इसके अलावा आप गणेश जी की प्रतिमा को घर के पूर्व या फिर पश्चिम दिशा में भी रख सकते हैं। मान्यता है कि इससे घर में सुख, समृद्धि आती है। घर में गणेश जी की ऐसी ही प्रतिमा लगाएं जिसमें उनकी सूंड बायीं तरफ झुकी हुई हो और पूजा घर में सिर्फ एक ही गणेश जी की प्रतिमा होनी चाहिए। भगवान गणेश को पीला रंग बहुत पसंद है। इसलिए बप्पा को विराजित करने के बाद उन्हें पीले रंग के लड्डू का भोग लगाएं।