विद्वानों और बुजुर्गों द्वारा बचपन में सुनते आ रहे हैं की चिंता चिता समान होती है कई बार रह रह कर के यह यक्ष प्रश्न खुद से पूछता था कि आखिर इसका क्या कारण है जो चिता जैसे डरावने शब्द से चिंता की तुलना की गई है चिंता एक व्यक्ति की मनोवैज्ञानिक एवं शरीर क्रियात्मक दशा या स्थिति होती है। इसका चित्रण ज्ञानात्मक, भावनात्मक तथा चरित्रगत घटको द्वारा किया जाता है यह घटक अरुचिकर भावना या निर्माण करने में संयुक्त रूप से कार्य करते हैं जो बेचैनी या व्याकुलता, डर या चिंता के साथ सहयोगी होती हैं। चिंता संकट की आशंका का एक व्यक्तिगत भाव होता है जो शरीर क्रियात्मक उत्तेजन के बढ़े हुए स्तर के द्वारा साथ देता है। दूसरे शब्दों में चिंता एक दीर्घकालिक डर होता है जो सामान्य कार्यों को करने की हमारी योग्यता को सीमित करता है। चिंता प्राय शरीर के विभिन्न अंगों की उत्तेजना का परिणाम होती है। इस असाधारण घटना अर्थात चिंता के लक्षण हाथों में पसीना आना बार-बार मूत्र करने की अंतर प्रेरणा, बढ़ी हुई श्वसन दर बढ़ा हुआ मांसपेशियां तनाव तथा बढी हुई हृदय की धड़कन की दर, आदि के रूप में देखा जाता है। यह शारीरिक प्रभावों जैसे हृदय की धड़कनो, थकावट, उबकाई, छाती के दर्द, छोटा स्वास, पेट दर्द या सिरदर्द आदि के द्वारा साथ-साथ हो सकती है शारीरिक रूप से शरीर व्यक्ति को संभावित खतरों या आशंकाओं के साथ निपटने के लिए तैयार करता है चिंता शरीर क्रियात्मक उत्ते जन के साथ साथ रहती है चिंता से छुटकारा पाने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है जिनमें प्रमुख हैं ध्यान लगाना चिंता को नियंत्रित करने के लिए ध्यान का प्रयोग लाभकारी है मन विचलित होने के समय ध्यान क्रिया रामबाण का काम करती है शांत रहने के लिए यह एक आदर्श क्रिया है पांच सांसों की तकनीक यह तकनीक खड़े हुए लेटे हुए बैठी हुई स्थिति में प्रयोग में लाई जा सकती है एक गहरा श्वास भरें तथा छोड़ते हुए अपने चेहरे व गर्दन को शिथिल होने दे। फिर दूसरा श्वास भरें तथा छोड़ते हुए, अपने कंधों व बाजुओं को शिथिल को होने दें उसके उपरांत तीसरा श्वास भरें तथा स्वास छोड़ते हुए अपनी छाती अमाशय व कमर को शिथिल होने दें उसके बाद चौथा स्वास भरे तथा श्वास बाहर निकालते हुए अपनी टांगो वह पैरों को शिथिल होने दें उसके बाद पांचवा गहरा श्वास तथा श्वास बाहर निकालते हुए अपनी टांगों में पैरों को शिथिल होने दे जितनी देर आवश्यकता महसूस करें उतनी देर तक सांस लेने की प्रक्रिया को जारी रखें आशावादी सोच के साथ जीवन में श्रेष्ठ प्रदर्शन के बारे में सोचना शुरू करें उसके बाद अपनी जीतने की भावना के साथ जितना भी संग रद्द कर सकें प्रत्येक विस्तार के साथ सूचीबद्ध करें नकारात्मकता छोड़ें अपने मन में नकारात्मक विचार ना लाएं सकारात्मक सोच रखें चिंता से निवारण में अवश्य सहायता मिलेगी। बचपन में सुना था की चिंता चिता समान होती है कई बार रह रह कर के यह यक्ष प्रश्न खुद से पूछता था कि आखिर इसका क्या कारण है जो चिता जैसे डरावने शब्द से चिंता की तुलना की गई है चिंता एक व्यक्ति की मनोवैज्ञानिक एवं शरीर क्रियात्मक दशा या स्थिति होती है। इसका चित्रण ज्ञानात्मक, भावनात्मक तथा चरित्रगत घटको द्वारा किया जाता है यह घटक अरुचिकर भावना या निर्माण करने में संयुक्त रूप से कार्य करते हैं जो बेचैनी या व्याकुलता, डर या चिंता के साथ सहयोगी होती हैं। चिंता संकट की आशंका का एक व्यक्तिगत भाव होता है जो शरीर क्रियात्मक उत्तेजन के बढ़े हुए स्तर के द्वारा साथ देता है। दूसरे शब्दों में चिंता एक दीर्घकालिक डर होता है जो सामान्य कार्यों को करने की हमारी योग्यता को सीमित करता है। चिंता प्राय शरीर के विभिन्न अंगों की उत्तेजना का परिणाम होती है। इस असाधारण घटना अर्थात चिंता के लक्षण हाथों में पसीना आना बार-बार मूत्र करने की अंतर प्रेरणा, बढ़ी हुई श्वसन दर बढ़ा हुआ मांसपेशियां तनाव तथा बढी हुई हृदय की धड़कन की दर, आदि के रूप में देखा जाता है। यह शारीरिक प्रभावों जैसे हृदय की धड़कनो, थकावट, उबकाई, छाती के दर्द, छोटा स्वास, पेट दर्द या सिरदर्द आदि के द्वारा साथ-साथ हो सकती है शारीरिक रूप से शरीर व्यक्ति को संभावित खतरों या आशंकाओं के साथ निपटने के लिए तैयार करता है चिंता शरीर क्रियात्मक उत्ते जन के साथ साथ रहती है चिंता से छुटकारा पाने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है जिनमें प्रमुख हैं ध्यान लगाना चिंता को नियंत्रित करने के लिए ध्यान का प्रयोग लाभकारी है मन विचलित होने के समय ध्यान क्रिया रामबाण का काम करती है शांत रहने के लिए यह एक आदर्श क्रिया है पांच सांसों की तकनीक यह तकनीक खड़े हुए लेटे हुए बैठी हुई स्थिति में प्रयोग में लाई जा सकती है एक गहरा श्वास भरें तथा छोड़ते हुए अपने चेहरे व गर्दन को शिथिल होने दे। फिर दूसरा श्वास भरें तथा छोड़ते हुए, अपने कंधों व बाजुओं को शिथिल को होने दें उसके उपरांत तीसरा श्वास भरें तथा स्वास छोड़ते हुए अपनी छाती अमाशय व कमर को शिथिल होने दें उसके बाद चौथा स्वास भरे तथा श्वास बाहर निकालते हुए अपनी टांगो वह पैरों को शिथिल होने दें उसके बाद पांचवा गहरा श्वास तथा श्वास बाहर निकालते हुए अपनी टांगों में पैरों को शिथिल होने दे जितनी देर आवश्यकता महसूस करें उतनी देर तक सांस लेने की प्रक्रिया को जारी रखें आशावादी सोच के साथ जीवन में श्रेष्ठ प्रदर्शन के बारे में सोचना शुरू करें उसके बाद अपनी जीतने की भावना के साथ जितना भी संग रद्द कर सकें प्रत्येक विस्तार के साथ सूचीबद्ध करें नकारात्मकता छोड़ें अपने मन में नकारात्मक विचार ना लाएं सकारात्मक सोच रखें चिंता से निवारण में अवश्य सहायता मिलेगी।
