प्राचीन चिकित्सा पद्धति में आयुर्वेदिक औषधियां संक्रमण से लेकर असाध्य बीमारियों के इलाज में कारगर हैं। यही वजह है कि कोविड-19 के संक्रमण से बचाव के लिए लोगों का भरोसा आयुर्वेदिक औषधियों पर अधिक प्रभावी है।
बाजार में इन औषधियों की मांग में आई तेजी से दामों में भी उछाल है। यह दीगर है कि इससे बिक्री पर कोई असर नहीं पड़ा है। कारोबारियों के मुताबिक स्टॉक में कमी नहीं है। मौजूदा समय में ग्राहकों को टॉप लिस्ट गिलोय, अश्वगंधा और तुलसी है।

अश्वगंधा

आईआईटी दिल्ली के दावे है कि अश्वगंधा कोविड-19 में फायदेमंद है। अश्वगंधा 400 रुपये किलो में दोगुने दाम पर बिक रही है। आयुर्वेदिक दवा की दुकानों पर इसकी उपलब्धता पूरी है।

आंवला

आंवला बेमौसम भी अपनी रौं में है। नेपाल, इलाहाबाद, प्रतापगढ़ से आने वाले आंवला का पाउडर और रस की मांग दोगुनी हो गई है। आवला का पाउडर 200 रुपये किलो। एक लीटर का रस 200 रुपये में बिक रहा है।

गिलोय

संक्रमण से लेकर कई बीमारियों में रामबाण साबित होने वाला गिलोह कोविड-19 से बचाव के लिए टॉप पर है। गिलोय 100 रुपये किलो, 100 टेबलेट 150 रुपये, चूर्ण 100 ग्राम 70 रुपये और एक लीटर रस 190 रुपये में बिक रहा है।

दालचीनी

मसालों की रानी कही जाने वाली दालचीनी में एंटीऑकिसडेंट, विटामिन और मिनिरल्स प्रचुर मात्रा में होता है। 350 रुपये किलो लॉकडाउन से पहले बिकने वाली दालचीनी अब 450 रुपये किलो तक पहुंच गई है।

तुलसी

औषधीय पौधों में शुमार तुलसी से कोविड-19 के संक्रमण को दूर रखने में मदद मिलती है। इसलिए एक लीटर तुलसी रस 200 रुपये, 100 ग्राम तुलसी पाउडर 70 रुपये 100 तुलसी की गोली 180 रुपये में बिक रही है। सभी के भाव में करीब दस फीसद का इजाफा हुआ है।

क्या कहते हैं कारोबारी और डॉक्टर:

वरिष्ठ फिजिशयन गौरव शर्मा का कहना है कि कोरोना संक्रमण से बचने के लिए लोग आयुर्वेदिक दवाओं पर निर्भरता अधिक दिखा रहे है। औषधियों की आमद कम होने से दाम थोड़े बढ़े हैं।

2. मुरारी पंसारी दुकान के संचालक का कहना है कि गट्टूमल, कच्ची हल्दी, काली मिर्च, लौंग तुलसी, ऐलोवेरा जैसे पौधे लोग घरों में ही उगा सकते हैं। इससे उनकी बचत भी होगी और आयुर्वेदिक औषधियों से फायदा भी मिलेगा।

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