30 साल पहले आरक्षण विरोधी आंदोलन में पुलिस की बर्बरता का शिकार हुए छात्र युवराज व संजय कौशिक की याद में काला दिवस मनाया जाता है तमाम शिक्षण संस्थानों के साथ बाजार भी बंद रहते है। छात्र जूलूस निकालकर घटना के प्रति अपना रोष व्यक्त करते है |

सन 1990 में तत्कालीन सरकार के खिलाफ देशभर में आरक्षण विरोधी आंदोलन जोरों पर था। दिल्ली से शुरू हुई आरक्षण विरोधी आंदोलन की लड़ाई का बड़ा असर मोदीनगर में भी था। 26 सितंबर 1990 को आरक्षण विरोधी आंदोलन को धार देने के लिए हजारों की संख्या में छात्र व अन्य लोग एमएमपीजी कॉलेज पर एकत्र हुए थे। योजना थी कि कॉलेज से जूलूस के रूप में चलकर छात्र थाने पहुंचकर अधिकारियों को ज्ञापन सौंपेंगे। जैसे ही आंदोलनकारी कॉलेज से सरकार विरोधी नारेबाजी करते हुए आगे बढ़े तो पुलिसबल ने भीड़ को काबू करने के लिए लाठी चार्ज कर दिया। बेकाबू भीड़ को नियंत्रण में करने के लिए पुलिस ने गोलियां बरसा दीं, जिसमें भदौला निवासी युवराज व गोवदपुरी निवासी छात्र संजय कौशिक समेत सात लोगों की मौत हो गई थी। पुलिस की बर्बरता से गुस्साए लोगों ने वाहनों में तोड़फोड़ तथा भगवान मंडी के सामने शालीमार ट्रेन को रोककर उसमें आग लगा थी। जानकारी के मुताबिक महीनों बाद मोदीनगर का जनजीवन पटरी पर लौटा था। छात्र युवराज की प्रतिमा एमएम कॉलेज व संजय कौशिक की प्रतिमा गोविंदपुरी में अग्रसेन गेट के निकट स्थापित कराई गई थी। लोगों के रोष को देखते हुए तत्कालीन उप-प्रधानमंत्री देवीलाल मोदीनगर आए थे और लोगों को कठोर कार्रवाई का भरोसा देकर शांति बनाए रखने की अपील की थी। इसी के चलते छात्रों के साथ शहरवासी 26 सितंबर का दिन काला दिवस के रूप में मनाते हैं। इस दिन तमाम शिक्षण संस्थानों के साथ पूरा बाजार बंद रहता है। छात्र-छात्राओं के साथ गणमान्य लोग हाईवे पर जूलूस निकालते हैं।

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