Modinagar । कार्यकर्ताओं की बढ़ती नाराजगी के चलते आम आदमी पार्टी के नेताओं को विपक्षी दलों से गठबंधन का निर्णय वापस लेना पड़ा। इसी के चलते आप के प्रदेश प्रभारी एवं राज्य सभा सांसद संजय सिंह को अब कहना पड़ा है कि आम आदमी पार्टी उत्तर प्रदेश में आगामी विधान सभा के चुनाव में अकेले चुनाव लड़ेगी।
दरअसल, आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेताओं ने विपक्षी दलों से गठबंधन करने की सोच से पहले प्रदेश में विभिन्न 175 सीटों पर अपने प्रत्याशियों को घोषणा कर दी थी। उसके चलते इनमें से बहुत से प्रत्याशियों ने अपना चुनाव प्रचार शुरु कर दिया। एक प्रत्याशि ने अपना नाम प्रकाशित न करने की शर्त बताया कि उसने लाखों रुपये के पोस्टर भी छपवा लिए तथा दो तीन लाख अलग से खर्च कर दिए। उसके बाद संजय सिंह ने सपा से गठबंधन का भरसक प्रयास किया। इसे लेकर जिन उक्त प्रत्याशियों ने प्रचार प्रसार शुरु कर दिया, उनमें निराशा का भाव उत्पन्न हो गया। सूत्रों के अनुसार इनमें कुछ प्रत्याशियों ने तो अन्य दलों का दामन थाम लिया, वहीं काफी लोगों ने निराश होकर पार्टी के कार्यकर्मों से द्ूरी बनाकर अपने घर बैठ गए। एक कार्यकर्ता ने बताया कि काफी लोग पार्टी छोडने का मन बना रहे हैं। वहीं आप के एक प्रदेश स्तर के पदाधिकारी का कहना है कि जिन मुद्दों को लेकर पार्टी की स्थापना की गई जिनमें भ्रष्टाचार व जातिवाद, वंशवाद और नेता की सादगी शामिल हैं उन मुद्दों से पार्टी पूरी तरह से भटक चुकी है। पार्टी नेताओं ने कई दलों को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी तक करार दिया था। आज वहीं पार्टी आप नेताओं को अच्छी लग रहीं हैं। पार्टी के कुछ कर्मठ और ईमानदार लोगों का यह भी कहना है कि पार्टी के शीर्ष पदाधिकारी अन्य दलों पर लोकतंत्र न होने का आरोप लगाते हैं मगर आप के नेताओं ने भी 175 प्रत्याशी घोषित करते समय आम कार्यकर्ता की तो बात छोडियों प्रदेश व जिला स्तर के पदाधिकारियों की भी सलाह तक नहीं ली। ऐसे कार्यकर्ताओं को कहना हैे कि आप ने जिन दलों पर जातिवाद व भ्रष्टाचार का आरोप लगाया उन्हीं दलों से गठबंधन के लिए आप नेता उनके घरों पर दफ्तर पर चक्कर काटते रहे। लेकिन उन दलों द्वारा गठबंधन को लेकर आप को ज्यादा महत्व न देने तथा गंठबंधन से पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी की भनक लगने पर अब पार्टी ने अकेले चुनाव लडने की घोषणा की है, लेकिन अब देर हो चुकी है। आगामी चुनाव में पार्टी को अपनी हैसियत का पता चल जाएगा। इसके लिए कार्यकर्ता दोषी नहीं अपितु शीर्ष नेताओं का अहंकार व पार्टी नेताओं का अपनी विचार धारा से अलग होना शामिल है।

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