<p>2 अक्टूबर को पूरा देश गांधी जयंती मनाता है. स्कूलों में इन दिनों गांधी जी को लेकर कई तरह के कार्यक्रम होते हैं. लेकिन आज हम आपको गांधी जी से जुड़े उन सामानों के बारे में बताएंगे जिनकी नीलामी सबसे ऊंची कीमतों पर हुई है. आपको बता दें, इस नीलामी में सबसे ज्यादा महंगी गांधी जी की वसीयत बिकी थी. इसके साथ ही इस निलामी में गांधी जी की एक भूरे रंग की चप्पल और चमड़े का बैग भी बिका था. इन दोनों चीजों के लिए खरीददारों ने काफी ज्यादा कीमत चुकाई थी.</p>
<h3>कितने में बिकी थी गांधी जी की वसियत</h3>
<p>महात्मा गांधी ने अपनी जिंदगी में जिन चीजों का इस्तेमाल किया उनकी बिक्री जब बाद में हुई तो सबसे महंगी बिकी गुजराती भाषा में लिखी उनकी दो पन्नों की वसीयत. दरअसल, महात्मा गांधी ने दो पन्नों में जो वसियत लिखी थी, निलामी में उसकी कीमत 55 हजार पाउंड लगी. जो आज के समय के भारतीय रुपये के हिसाब से 55 लाख से भी ज्यादा होता है. सबसे बड़ी बात की इस वसियत की निलामी के लिए जो बोली शुरू हुई थी, वही 30 से 40 हजार पाउंड से शुरू हुई थी. हालांकि, इस वसियत को किसने खरीदा था आज तक इसकी जानकारी किसी को नहीं है.&nbsp;</p>
<h3>चप्पल और बैग कितने में बिका</h3>
<p>इसी निलामी में गांधी जी की भूरे रंग की चमड़े की एक चप्पल भी निलाम हुई थी. इसके लिए खरीददारों नें 19000 पाउंड की बोली लगाई थी. भारतीय रुपये में इसे अगर कनवर्ट किया जाए तो ये करीब 19 लाख रुपये होगा. बीबीसी में छपी रिपोर्ट के अनुसार, ये चप्पल मुंबई में जुहू बीच के नजदीक बने उस घर में रहने वाले लोगों से मिली. आपको बता दें 1917 से 1934 तक महात्मा गांधी यहीं रहे थे.</p>
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