जानकारी के मुताबिक आमतौर पर दुनिया की कई संस्कृतियों और धार्मिक मान्यताओं के हिसाब से रात के तीसरा पहर इंसानों के लिए बहुत खतरनाक माना जाता है. तीसरा पहर का अर्थ रात 3 से सवेरे 6 बजे के बीच का वक्त होता है.
कुछ कहानियों के मुताबिक तीसरा पहर के सबुह 3 से 4 बजे के बीच का वक्त सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है. क्योंकि इस दौरान शैतानी शक्तियां सबसे ज्यादा शक्तिशाली होती हैं और इस दौरान इंसान का शरीर सबसे ज्यादा कमजोर होता है.
लेकिन मेडिकल साइंस के तथ्य इन कहानियों से बिल्कुल अलग होते हैं. मेडिकल रिसर्च से मिली जानकारी के मुताबिक अस्थमा के अटैक का खतरा दिन के आम वक्त की अपेक्षा सुबह के 3 से 4 के बीच 300 गुना ज्यादा होता है. इसका प्रमुख कारण इस वक्त एड्रेनेलिन और एंटी-इंफ्लेमेटरी हार्मोंस का उत्सर्जन शरीर में बहुत घट जाता है. जिससे शरीर में श्वसनतंत्र बहुत ज्यादा सिकुड़ जाता है. वहीं दिन की अपेक्षा इस वक्त ब्लडप्रेशर भी सबसे कम होता है. यह भी एक वजह है कि सवेरे 4 बजे सबसे ज्यादा लोगों की मौतें होती हैं.
एनआईयू लैंगोन मेडिकल सेंटर की डॉ रोशनी राज कहती हैं कि सवेरे 6 बजे कोर्टिसोल हार्मोन के तेजी स्त्राव के कारण खून में थक्के जमने और अटैक पड़ने का खतरा ज्यादा होता है. लेकिन सबसे ज्यादा ब्लडप्रेशर रात में 9 बजे होता है. यह भी मौत का कारण बन सकता है. बता दें कि 40 सालों से प्रैक्टिस कर रहे डॉ चंदर असरानी मानते हैं कि कमजोरी के चलते मौत की बात पूरी तरह से गलत है. उनका कहना है कि सुबह 6 से दोपहर 12 के बीच हार्टअटैक की संभावना बहुत ज्यादा होती है.
इसके अलावा रात में सोने के दौरान भी लोगों की मौत होती है. इसकी वजह स्लीप एप्निया होती है. यानि एक ऐसी बीमारी है, जिसमें सोने के दौरान लोगों की सांसें रुक जाती हैं.
जीवन और मौत एक रहस्य है. यही कारण है कि विज्ञान और धर्म दोनों अपनी जानकारी के मुताबिक जीवन और मौत को लेकर अपने तथ्य रखते हैं. जबकि अभी तक जीवन और मौत को लेकर ऐसा कोई खासा जवाब नहीं मिला है, जिसको लेकर हर कोई सहमत दिखे.
Published at : 25 Mar 2024 02:10 PM (IST)
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