भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। ISRO गुरुवार को PSLV-C50 के जरिये संचार उपग्रह (Communication Satellite) CMS-01 को लांच किया। कोरोना काल में इस साल ISRO का यह दूसरा मिशन है। इसके लिए सतीश धवन स्पेश सेंटर से 25 घंटे की उलटी गिनती बुधवार दोपहर को ही शुरू हो गई थी। गुरुवार शाम 3.40 बजे लांच किया गया। ISRO के अध्यक्ष डॉ. के सिवन ने जानकारी दी कि PSLV-C50 पूर्वनिर्धारित कक्षा में सफलतापूर्वक पहुंच गया है।
उन्होंने बताया की सैटेलाइलट बहुत अच्छी तरह से काम कर रही है और अगले चार दिनों में एक निर्दिष्ट स्लॉट में पहुंच जाएगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान हमारी टीमों ने बहुत अच्छी तरह से और सुरक्षित रूप से इस पूरे प्रोजेक्ट में काम किया है।
पृथ्वी की सबसे दूरस्थ कक्षा में होगा स्थापित
CMS-01 को पृथ्वी की कक्षा में सबसे ऊंचे या दूसरे शब्दों में कहें तो 42,164 km के सबसे दूरस्थ बिंदु पर स्थापित किया जाएगा। इस कक्षा में स्थापित होने पर यह सैटेलाइट पृथ्वी के चारों तरफ उसी की गति से घूमेगा और पृथ्वी से देखे जाने पर आकाश में एक जगह खड़े होने का भ्रम देगा।
सतीश धवन केंद्र से लॉन्च होने वाला 77वां मिशन
CMS-01 (पूर्व नाम जीसैट-12आर) ISRO का 42 वां कम्युनिकेशन सैटेलाइट है और यह कम्युनिकेशन सैटेलाइट फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम के एक्सटेंडेड सी बैंड में सेवा उपलब्ध कराएगा, जिसके दायरे में भारत की मुख्य भूमि, अंडमान निकोबार और लक्षद्वीप द्वीपसमूह होंगे।
श्रीहरिकोटा के सतीश धवन केंद्र से लॉन्च होने वाला यह 77वां लांच व्हीकल मिशन होगा। PSLV-C50 मिशन पर इस बार अकेले पेलोड के तौर पर यात्रा कर रहे CMS-01 सैटेलाइट से टेलीकम्युनिकेशन सेवाओं में खासतौर पर सुधार होगा।
इसकी मदद से टीवी चैनलों की पिक्चर गुणवत्ता सुधरने के साथ ही सरकार को Tele-Education, Tele-Medicine को आगे बढ़ाने और आपदा प्रबंधन के दौरान मदद मिलेगी। यह सैटेलाइट 2011 में लॉन्च जीसैट-2 टेलीकम्युनिकेशन सैटेलाइट की जगह लेगा। CMS-01 अगले सात साल तक सेवाएं देगा।
यह PSLV की ‘XL’ कांफिगरेशन (छह स्ट्रेपऑन मोटर से संचालित) में 22वीं उड़ान होगी। इस साल कोरोना संक्रमण के कारण पिछले माह लांच किए गए ISRO के पहले मिशन के बाद यह महज दूसरा अभियान है।