Disha Bhoomi

Modinagarहर घर का बजट महंगाई के चलते प्रभावित हो रहा है। भवन निर्माण सामग्री से लेकर बच्चों की पढ़ाई तक का खर्च बढ़ गया है। दवाओं से लेकर स्कूल की फीस से घरों का बजट बिगड़ गया है। महंगाई से बिगड़े बजट से गरीब व मध्यम वर्ग के लोगों को सबसे अधिक दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं। सरकारी व निजी क्षेत्र में काम करने वाले भी महंगाई की मार से अछूते नहीं हैं। आशियाना बनाना भी अब महंगा हो गया है।
बच्चों को पढ़ाना हो रहा मुश्किल
महंगाई ने घरों को अपना स्थाई ठिकाना बना लिया है। अब बच्चों की ड्रेस से लेकर किताबें तक महंगी हो गई हैं। इन पर हर साल महंगाई बढ़ जाती है। तीन साल पहले जो किताब 90 रुपये की थी, वह अब 130 रुपये की मिल रही है। ऊपर से स्कूलों की बढ़ी हुई फीस भी परेशान कर रही है। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई के लिए अन्य बजटों में कटौती करनी पड़ रही है।
कम हो गया पर्यटन
अब तो महंगाई के चलते घरों से निकलना भी मुश्किल हो गया है। पहले पर्यटन के लिए घूमने-फिरने का कार्यक्रम साल में चार-पांच बार हो जाता था। अब वाहनों का भाड़ा भी दस से बीस फीसद तक बढ़ गया है। शादी समारोह में जाने के लिए तैयारी करने पड़ती है। इसके लिए कपड़ों से लेकर सौंदर्य प्रसाधन सामग्री तक सब महंगे होने से इन आयोजनों में जाना कम हो गया है।
तीन साल में 45 से 76 पर पहुंची सरिया
भवन निर्माण का कार्य भी अब कम हो गया है। भवन निर्माण सामग्री के रेट तेजी से बढ़े हैं। तीन साल में सरिया 45 से 76 रुपयेे प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है। यही हाल गार्डर, चैखट व लोहे से बने जाली, जंगला सहित सभी सामान का है। कच्चा माल की आपूर्ति कम होने व भाड़ा व लागत बढने से इन उत्पादों की कीमत बढ़ रही हैं। तीन साल में ग्राहक भी कम हो गए हैं।
लागत मूल्य व भाड़ा से बढ़ी कीमतें
दवाओं की कीमतें तीन साल में बढ़ी हैं। इनमें कुछ दवाओं के दाम कम हुए हैं। अधिक बिक्री वाली दवाओं के दाम में बढ़ोत्तरी हुई है। इनमें बेटनोवेट-एन वर्ष 2019 में 35 थी, जो अब 45 रुपये की हो गई है। इसी तरह पैरासीटामोल, एंटीबायोटिक्स में सिफटास से लेकर डेक्सोरेंज सीरप, ईनो व इलेक्ट्राल तक महंगे हो गए हैं। यह मंहगाई में यह इजाफा लागत मूल्य अधिक आने व भाड़ा बढनें से है।
तीन साल में 250 से 400 हो गई फीस
महंगाई की मार स्वास्थ्य सेवाओं पर भी पड़ रही है। विशेषज्ञ चिकित्सकों की फीस में भी इजाफा हुआ है। शहर के विशेषज्ञ चिकित्सकों की फीस भी तीन साल में 200 से बढ़कर 500 रुपये तक पहुंच गई हैं। इतना नहीं यह इजाफा एक्सरे, अल्ट्रासाउंड सहित अन्य जांच में भी हुआ है। दवाओं के साथ परामर्श शुल्क बढने से भी आम जनजीवन प्रभावित हो रहा है। हालांकि कुछ चिकित्सकों की फीस अभी कम है।

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