भारत की ईंधन खपत में जुलाई और अगस्त के दौरान आई गिरावट के बाद सितंबर के पहले पखवाड़े में बदलाव आया, जिससे अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत मिलते हैं। हालांकि कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

मालूम हो कि डीजल की खपत आर्थिक गतिविधियों के जोर पकड़ने का प्रमुख संकेत है। ऐसा इसलिए क्योंकि डीजल का उपयोग परिवहन, निर्माण व खेती के कामों में किया जाता है। अगस्त माह में डीजल की खपत में जुलाई की तुलना में 12 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई, जो कोरोना के पहले के स्तर से 21 फीसदी कम है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सितंबर के पहले 15 दिनों में पेट्रोल की खपत पिछले साल की समान अवधि की तुलना में दो फीसदी अधिक रही, जबकि डीजल की बिक्री कोरोना के पहले के दौर के 94 फीसदी के बराबर पहुंच गई है। अगस्त से इसमें 19 फीसदी की तेजी आई है।

सितंबर में जेट ईंधन की बिक्री अगस्त से 15 फीसदी बढ़ी है, लेकिन अब भी पूर्व-कोविड स्तर से यह 60 फीसदी नीचे है।

एलपीजी की बात करें, तो इसकी बिक्री लगातार बढ़ी है, साल-दर-साल के आधार पर यह 12 फीसदी बढ़ी। वहीं महीने-दर-महीने आधार पर अगस्त से इसकी बिक्री 13 फीसदी बढ़ी है। एलपीजी की खपत लॉकडाउन के बाज से बढ़ी है।

लॉकडाउन के बाद से लोगों द्वारा अपने घरों से बाहर निकलने से और निजी वाहनों का उपयोग करने से पेट्रोल की बिक्री को बढ़ावा मिला है। इससे अगस्त में कार की बिक्री में 14 फीसदी और दोपहिया वाहनों की बिक्री तीन फीसदी बढ़ी है। इससे ईंधन की खपत को बढ़ावा मिला। उद्योग के अधिकारियों को उम्मीद है कि मानसून में कमी, निर्माण परियोजनाओं के फिर से शुरू होने और अक्तूबर में त्योहारों के शुरू होने से ईंधन की खपत में और वृद्धि होगी।

 

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