गोंडा जिला कृषि अधिकारी जेपी यादव ने जनपद के किसानों से धान की बालियों में विभिन्न प्रकार के कीट से बचाव के लिए अपील किया है। उन्होंने कहा है कि धान में गंधी बग लगने पर इस कीट के द्वारा धान की बालियों का रस चूस लिया जाता है, जिसके कारण बाली में दाने नहीं बनते हैं और बालियां सफेद हो जाती हैं।
उन्होंने कहा है कि इस कीट के नियंत्रण हेतु मेलाथियान 5 प्रतिशत धूल अथवा फेनवेलरेट 0.04ः धूल की 20 से 25 किलोग्राम मात्रा का प्रति हेक्टेयर की दर से फसल पर भुरकाव करें। उन्हांेने धान का कंडुआ रोग जिसे किसान भाई धान का हरदिया रोग भी कहते हैं जिसमें धान की बाली के दाने पीले काले रंग के आवरण से ढक जाते हैं, जिनको हाथ से छूने पर हाथ में पीले काले रंग के पाउडर जैसे रोग के स्पोर लग जाते हैं। इसे नियंत्रित करने हेतु कॉपर हाइड्रोक्साइड 77ः डब्ल्यूपी की 2 किलोग्राम मात्रा अथवा प्रॉपिकोनाजोल 25ः ईसी की 750 मिली मात्रा को 16 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइकिलिंन के साथ 500 से 700 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से फसल पर छिड़काव करें। छिड़काव का कार्य शाम के समय किया जाए।
उन्होंने बताया कि सहभागी फसल निगरानी एवं निदान प्रणाली एक ऐसी व्यवस्था बनाई गई है जिसमें किसान भाई मोबाइल नंबर 9452247111 या 9452257111 पर व्हाट्सएप या एसएमएस के माध्यम से फसल में लगे हुए रोग कीट की सूचना एवं फोटो भेज सकते हैं। यह सूचना ऑनलाइन प्राप्त होते ही 48 घंटे के अंदर रोग एवं कीट का पूर्ण समाधान ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाता है। किसान भाई इस ऑनलाइन प्रणाली का भी उपयोग कर लाभ उठा सकते हैं।
श्याम बाबू कमल