मुरादनगर में हुए हादसे को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने स्वत: संज्ञान लिया है। आयोग ने प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव व डीजीपी को नोटिस जारी कर मामले में पूरी विस्तृत रिपोर्ट चार सप्ताह में देने के निर्देश दिए हैं। गाजियाबाद के मुरादनगर में 3 जनवरी को शमशान घाट की छत गिरने से 23 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि दर्जनों जख्मी हो गए थे। आयोग ने इस घटना में नोटिस जारी करते हुए कहा है कि रिपोर्ट के साथ प्रदेश की ऐसे सभी शमशान घाटों, कब्रिस्तानों और अन्य स्थलों की स्थिति के बारे में रिपोर्ट भी भेजी जाए जिनका गरीब व सामान्य लोग इस्तेमाल करते हैं। आयोग ने यह भी निर्देश दिए हैं कि प्रशासनिक अधिकारियों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न होने पाएं।
आयोग ने मामले में दर्ज की गई रिपोर्ट में की गई कार्रवाई के साथ ही मुआवजा देने की स्थिति के बारे में भी रिपोर्ट मांगी है। साथ ही सरकार से घायल हुए लोगों की तबीयत के बारे में भी पूछा गया है। आयोग ने नोटिस जारी करते हुए यह भी कहा है कि प्रथम दृष्टया लगता है कि ठेकेदार और संबंधित विभाग के अधिकारियों ने लापरवाही भरे अंदाज़ में काम किया, जिससे लोगों की जान खतरे में पड़ गई। आयोग ने कहा है कि मामले की गंभीरता से जांच की जानी चाहिए ताकि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सके।
ऐसे हुआ था हादसा
गाजियाबाद जिले के मुरादनगर बंबा मार्ग पर स्थित श्मशान घाट के पास रविवार को जयराम 72 के अंतिम संस्कार के लिए परिवार और आस-पड़ोस के लोग आए थे। अंतिम संस्कार के बाद लोग जाने ही वाले थे। इससे पहले ही छत गिरने से यह हादसा हो गया। हादसा अचानक हुआ कि इसमें चीख-पुकार भी नहीं सुनने को मिली। वहां मौजूद घायलों का कहना है कि जो लोग लेंटर में दब गए उनकी आवाज नहीं सुनी और जो बच गए वह सदमें में हैं। घायल लोगों ने अपने नजदीकि लोगों को फोन करके बुलाया, हादसे के करीब एक घंटे बाद वहां एंबुलेंस पहुंचनी शुरू हो गई। इससे पहले मलबे में दबे कुछ लोगों को निकालकर नजदीक के अस्पताल में पहुंचाया गया। इसके बाद जेसीबी की सहायता से दीवार को हटाकर वहां दबे लोगों को निकाला गया। परिजनों के अनुसार करीब 50 से ज्यादा लोग मौके पर थे। हादसे में 23 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी।