नए कृषि कानूनों के विरोध में दो महीने से भी अधिक समय से देश भर के किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं। खास तौर से हरियाणा, पंजाब और यूपी के किसान आंदोलन को खड़ा किये हुए हैं। कई नेता भी आंदोलन के बीच सुर्खियों में रहे हैं लेकिन गाजीपुर बॉर्डर और पश्चिमी यूपी का किसान आंदोलन टिकैत के ही नाम पर टिका है  और अब  6 फरवरी को किसानों के चक्का जाम के एलान के बाद गाजीपुर बॉर्डर पर डटे किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों का आंदोलन अक्टूबर तक चलेगा। उन्होंने मंगलवार को कहा, ‘हमारा नारा है- कानून वापसी नहीं, तो घर वापसी नहीं। अक्टूबर के बाद आगे की तारीख देंगे। तब तक बातचीत भी चलती रहेगी। गणतंत्र दिवस पर नौजवानों को बहकाया गया, उनको लाल किले का रास्ता बताया गया, ताकि पंजाब और किसान कौम को बदनाम किया जा सके।’

गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन में प्रदर्शनकारी किसानों को संबोधित करते हुए राकेश टिकैत ने कहा, “हमारा नारा ‘कानून वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं’ है। यह आंदोलन सात-आठ महीने यानी अक्टूबर से पहले खत्म नहीं होगा।

उन्होंने कहा, “हमने सरकार को बता दिया है कि ये आंदोलन अक्टूबर तक चलेगा। अक्टूबर तक के बारे में तो हम अभी कह रहे हैं। अक्टूबर से आगे की तारीख बाद में देंगे। सरकार से बातचीत भी चलती रहेगी लेकिन हमारा नारा वही रहेगा- जब तक कानून वापस नहीं, तब तक घर वापसी नहीं।”

हाल ही में सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि सरकार और किसानों के बीच एक फोन कॉल की दूरी है। किसान जब चाहे फोन कॉल कर सकते हैं। इस मामले का हल बातचीत से ही निकलेगा।इस पर प्रतिक्रिया देते हुए टिकैत ने कहा, “प्रधानमंत्री ने यह बात कही है तो उनका स्वागत है। सरकार हमें वो नंबर दे, जिस पर बात करने के लिए सरकार एक फोन कॉल दूर है। हम बात करेंगे।”

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