मोदीनगर। कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर के खतरे को देख हुए केंद्र सरकार ने मंगलवार को बड़ा फैसला लिया। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) 12वीं की परीक्षा भी रद कर दी गई। यह निर्णय विद्यार्थियों की सुरक्षा को देखते हुए लिया गया। इससे विद्यार्थियों में मिली-जुली प्रतिक्रिया है। कुछ निर्णय को सही बता रहे हैं, जबकि कुछ परीक्षा बाद में कराए जाने की मांग कर रहे हैं।
सीबीएसई से जुडे़ लोगों का कहना है कि कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर का खतरा बना हुआ है, जिसमें बच्चों के प्रभावित होने की आशंका के कारण अभिभावक व विद्यार्थी लगातार परीक्षा रद करने की मांग कर रहे थे। वर्तमान स्थिति देखते हुए सीबीएसई ने 12वीं की बोर्ड परीक्षा रद करने का निर्णय लिया है। परीक्षा परिणाम किस आधार पर निकाला जाएगा, इसके दिशा-निर्देश अलग से जारी होंगे।
गोविन्दपुरी स्थित छाया पब्लिक स्कूल के प्रशासनिक अधिकारी व निदेशक डाॅ0 अरूण त्यागी का कहना है कि वर्तमान परिस्थिति में सही निर्णय लिया है। परीक्षा होती, तो संक्रमण की आशंका बनी रहती। अब सही नीति निर्धारित कर 10वीं और 12वीं का परिणाम जल्द जारी किया जाए।
टीआरएम पब्लिक स्कूल के निदेशक गौरव माहेश्वरी का कहना है कि फैसले का स्वागत है। विद्यार्थियों के हित व सुरक्षा का ध्यान सबसे पहले है। अब प्री-बोर्ड, होम एग्जाम व अर्धवार्षिक परीक्षा के प्रदर्शन के आधार पर परिणाम जारी किया जाए।
ग्रीलैंण्ड पब्लिक स्कूल के चेयरमैन प्रमोद गोयल का कहना है कि वर्तमान परिस्थिति में निर्णय सही है, लेकिन परीक्षा स्थगित करने का भी विकल्प था। परीक्षा रद होने से विद्यार्थियों का मनोबल प्रभावित हो सकता है। उन्हें कालेज में प्रवेश लेने में भी दिक्कत आ सकती है, क्योंकि वहां मेरिट के आधार पर प्रवेश होंगे। इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए।
छात्रा हिमानी कहती है कि कोरोना केस कम हुए, लेकिन खत्म नहीं हुए हैं। ऐसे में परीक्षा होती, तो डर बना रहता। सही समय पर सही फैसला लिया है।
छात्र मुकुल गुप्ता कहते है कि परीक्षा रद करना ठीक नहीं, इससे मेधावी विद्यार्थियों का प्रदर्शन प्रभावित होगा। परीक्षा जुलाई या अगस्त में कराई जा सकती थी।
छात्रा सीमा अरोड़ा का कहना है कि विद्यार्थियों के स्वास्थ्य व सुरक्षा को देख निर्णय सही है, हालांकि मेधावी विद्यार्थी निराश हैं। परीक्षा स्थगित करने भी विकल्प था।
प्र्रतीक चौहान कहते है कि परीक्षा रद होने से निराश हूं। सफलता के अवसर कम होने व भविष्य में दुष्परिणाम दिखने की आशंका है। स्थगित करना विकल्प था।
वरिष्ठ शिक्षाविद् मुकेश गर्ग का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर कुछ कमजोर पड़ने के बाद इस आशंका को बल मिल रहा था, कि सरकार शायद 12 वीं की बोर्ड परीक्षाओं की अनुमति प्रदान कर दे, लेकिन कुछ विपक्षी नेता इस परीक्षा को रद्द कराने पर अड़े थे, क्योकि वह बिना टीकाकरण के 12 वीं के बच्चो का परीक्षा स्थल पर पहुँचने को जानलेवा मान रहे थे और प्रधानमंत्री ने स्वयं निर्णय लेते हुए आने वाले किसी भी खतरे की संभावना को समाप्त करके एक विवाद को समाप्त कर दिया। बस, एक परेशानी जो इस बार बच्चो को आएगी वह यह की इंजीनियरिंग, मेडिकल व अन्य अंडर ग्रेजुएट कक्षाओं में प्रवेश लेने के लिए सरकार क्या तरीका अपनायेंगी, क्योकि हमेशा टॉपर बच्चें ही इन प्रतियोगी परीक्षाओ में पास होकर प्रवेश लेते रहे हैें लेकिन इस समस्या का भी हल निकाल लिया जायेगा, लेकिन बच्चों की सुरक्षा से समझौता न करके प्रधानमंत्री ने जनता का दिल जीत लिया है।