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Srinagar कश्मीर घाटी में हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि घाटी में कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स की तैयारी कर रहे छात्र भटककर आतंकी बन रहे हैंं। इस खतरनाक ट्रेंड ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। परेशान माता-पिता अपने बच्चों से लौटने की अपील कर रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि 2019 में अनुच्छेद 370 रद्द करने के बाद स्थिति पहली बार इतनी बिगड़ी है।
अप्रैल तक सुरक्षा एजेंसियां दावा कर रही थीं कि घाटी में युवाओं के आतंकी बनने का ट्रेंड लगभग खत्म हो चुका है। कुछ अनुमानों के मुताबिक, इस साल के पहले चार महीने में सिर्फ 14 युवा ही आतंकी बने, लेकिन मई में सब कुछ बदल गया। हर रोज युवा गायब हो रहे हैं और आतकी संगठनों में शामिल हो रहे हैं। अकेले मई में 36 युवा लापता हुए हैं। ये 18-25 वर्ष के हैं। ये ऐसे मामले हैं, जहां परिजनों ने इनकी गुमशुदगी लिखाई हैै।
एक डर यह है कि ऐसे तमाम युवा लापता हैं, जिनके बारे में परिजनों ने रिपोर्ट नहीं लिखाई है। ऐसे में युवाओं के आतंकी बनने की लिस्ट और लंबी हो सकती है। इस साल सुरक्षाबलों ने अब तक 100 आतंकी मारे हैं। इनमें अकेले मई में ही 28 आतंकी मार गिराए हैं।
PoK नहीं जा पा रहे तो वीडियो से ट्रेनिंग मिल रही
सख्त पहरे के चलते आतंकी अब ट्रेनिंग लेने PoK नहीं जा पा रहे। ऐसे में इन्हें वीडियो के जरिए ट्रेनिंग दी जा रही है। कि पर्यटकों की रिकॉर्ड संख्या को सामान्य हालात नहीं कह सकते। यहां युवाओं को गुमराह किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद डेमोग्राफी बदल रही है। शेष भारत में धार्मिक विवाद भी आग में घी का काम कर रहा है। अगर सुरक्षा कर्मियों से कोई चूक होती है तो उसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है।
ड्रोन-सुरंगों के जरिए छोटे हथियार घाटी में आ रहे
पिछले साल तक आतंकी गोला-बारुद की कमी का सामना कर रहे थे। पाकिस्तान से ड्रोन और सुरंगों के जरिए LOC और जम्मू बॉर्डर से पिस्टल, स्टिकी बम व अन्य हथियारों की बड़ी खेप भेजी गई है। जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों ने छह महीनों (दिसंबर 2021-मई 2022) में 7 ड्रोन को गिराया है और पाक सीमा पर तीन सुरंग खोज निकालीं हैैं। इस बीच, कश्मीर में पुलिस ने 5 माह में 150 पिस्टल बरामद की हैं, जबकि बीते साल 12 माह में 167 पिस्टल बरामद की थीं।
पार्ट टाइम आतंकी बड़ी चिंता
घाटी में हाइब्रिड आतंकी सुरक्षाबलों के लिए नई चुनौती बनकर उभरे हैं। हाइब्रिड आतंकवादी कोई भी हो सकता है। यह छात्र, कार्यकर्ता या किसान भी हो सकते हैं। इन्हें इंटरनेट के जरिए ट्रेनिंग मिलती हैै, टारगेट दिया जाता है। ये काम खत्म करने बाद सामान्य जीवन जीने लगते हैं और जरूरत पड़ने पर एक्टिव टेरेरिस्ट बन जाते हैं।
सेना में जाने के इच्छुक कुछ युवा भी गुमराह
इस साल 16 अप्रैल को श्रीनगर का शकील वानी नमाज के लिए घर से निकला और गायब हो गया। वो पुलवामा में 24 अप्रैल को मारा गया। 14 अप्रैल को जैनापोरा शोपियां में एक और मुठभेड़ में चार आतंकी मारे गए। ये चारों 10 मार्च से 9 अप्रैल के बीच लापता हुए थेे। ये कोई अनपढ़ युवक नहीं, बल्कि मेधावी छात्र थे। 7 जून को शोपियां में राजा नदीम राथर मारा गया।
वह पशु चिकित्सा विज्ञान स्नातक के अंतिम वर्ष का छात्र था। एक अन्य आतंकी बने युवा ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) का एग्जाम पास किया था। एक अन्य युवक कैसर अहमद डार 12वीं के रिजल्ट से 4 दिन पहले लापता हो गया था। उसे 88% अंक मिले। पिता पुलिस में हैं। मां का कहना है कि उसकी इच्छा सेना में जाने की थी।

 

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