मानव व पक्षी दोनों अपनी संतान के जीवन यापन के लिए बड़ी मेहनत बहुत प्यार से घर बनाते हैं दोनों की संतान समयानुसार सब कुछ छोड़कर चले जाते हैं

पक्षी कड़ी मेहनत व हौसलों के साथ घौंसला बनाता है
पक्षी के बच्चे हौसलों की नई उड़ान के साथ घौंसला छोड़ देते हैं

मानव प्यार व कुछ आशाओं और आकांक्षों के साथ घरौंदा बनाता है
संतान अपनी प्रगति की आशाओं के व सुनहरे भविष्य के सपनों के साथ घरौंदों को रौंद कर सब कुछ छोड़कर चले जाते हैं
यही प्रकृति का अटूट सत्य है यही जीवन चक्र है जो निरंतर ऐसे ही चलता रहेगा

डॉ पांचाल के शब्दों में

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