तंबाकू को एक प्रकार का प्राकृतिक पौधा कहा जाता है इसकी खेती की जाती है तथा इसी के आधार पर इसकी मात्रा में सुधार किया जाता है यह पूरे विश्व में उत्पन्न होता है तंबाकू में निकोटिन पाया जाता है इसका सेवन आज बहुत से रूपों में किया जा रहा है इसे कच्चा खाया जाता है इसे पाइप बीड़ी सिगरेट हुक्का आदि में भी भर कर लिया जाता है यह प्राचीन काल से लोगों के द्वारा लिया जा रहा है यह उनके शरीर में खास प्रकार की उत्तेजना पैदा करता है तथा इससे उसकी कार्य क्षमता मैं कुछ समय के लिए विकास हो जाता है एक अनुमान के अनुसार यह माना जाता है कि तंबाकू का उपयोग व्यक्ति के द्वारा 16 वी शताब्दी से ही किया जा रहा है सर्वप्रथम लोगों के द्वारा इसका प्रयोग हुक्के के रूप में किया जाता था वर्तमान में बीडी तथा सिगरेट के द्वारा भी इसका सेवन किया जा रहा है यदि एक व्यक्ति के द्वारा इसका सेवन प्रतिदिन नियमित रूप से किया जाता है तो इसका प्रभाव उसके शरीर पर पड़ता है इससे उसके शरीर में निकोटिन की मात्रा बढ़ जाती है तथा उसके पेट में नासूर नामक बीमारी की उत्पत्ति हो जाती है आज विश्व तंबाकू निषेध दिवस है वर्तमान समय में तंबाकू सेवन किस प्रकार घातक हो सकता है इसका अंदाजा वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की उस रिपोर्ट से लगाया जा सकता है जिसमें बताया गया है कि पिछली यानी 20 वी सदी में तंबाकू सेवन से मरने वालों की संख्या 100 करोड़ से ज्यादा थी रिपोर्ट में दावा किया गया है अगर हालात नहीं बदले तो 21वीं सदी में इससे मरने वालों का आंकड़ा एक अरब के करीब पहुंच सकता है भारत भी इसके असर से अछूता नहीं है देश में हर साल 10 लाख लोगों की मौत तंबाकू सेवन करने से होती है डब्ल्यूएचओ के मुताबिक दुनिया की 7 अरब आबादी में एक अरब लोग सिगरेट के जरिए तंबाकू का सेवन करते हैं यानी हर 7 में से एक शख्स खतरनाक आदत का शिकार है दुनिया के 12% करीब 12 करोड़ स्मोकरस भारत में है जबकि चीन में दुनिया का सबसे ज्यादा स्मोकर्स है इंडोनेशिया में 76 फ़ीसदी पुरुष धूम्रपान करते हैं लासेंट मेडिकल जर्नल की अप्रैल 2017 की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बीते 25 वर्षों में रोजाना सेवन करने वाले लोगों की संख्या में कमी भी आई है 1990 में जहां 3 में से एक पुरुष और 12 में से एक महिला रोजाना धूम्रपान करती थी वहीं 2015 में 4 में से 1 पुरुष और 20 में से एक महिला की धूम्रपान करती है कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी में 30 फ़ीसदी मामलों में तंबाकू ही कारण बना है तंबाकू का उपयोग करने से व्यक्ति की शारीरिक क्षमता को क्षति पहुंचती है और उसकी कार्यक्षमता भी कम हो जाती है उसके दांतो को भी क्षति पहुंचती है और दातों में पायोरियां तथा कैंसर आदि बीमारी हो सकती है यह बीमारी धीरे-धीरे उसके जीवन को समाप्त कर देती हैं लगातार तंबाकू का सेवन करने से फेफड़े भी काले पड़ जाते हैं जिससे काली खांसी हो जाती है जैसा कि हम जानते हैं दातों की क्षति को सहन करना आसान नहीं होता मुंह में पीड़ा होने पर व्यक्ति कार्य करने में अक्षम हो जाता है और मनुष्य अपनी शक्ति भी खो बैठता है धूम्रपान करने से व्यक्ति की सोचने की शक्ति घट जाती है और प्राणी एक प्रकार से विचार हीन हो जाता है साथ ही उसके शरीर से दुर्गंध आने लगती है जिससे उसके व्यक्तित्व पर भी प्रभाव पड़ता है धूम्रपान के कुप्रभाव के कारण बहरापन भी हो सकता है और सदा के लिए अपनी सुनने की शक्ति खो बैठता है श्वास नलीका पर भी तंबाकू का गहरा असर देखा जाता है स्वास नल पर इससे गहरा प्रभाव पड़ता है तथा व्यक्ति सांस लेने में असहाय हो जाता है इसलिए हम कह सकते हैं तंबाकू का सेवन एक गलत आदत है जिस व्यक्ति में यह आदत विकसित हो जाती है उसे इसकी लत लग जाती है तथा वह इस पर आश्रित हो जाता है लगातार तंबाकू सेवन किए जाने से न केवल उसकी शारीरिक क्षमता पर असर पड़ता है बल्कि इसके द्वारा व्यक्ति में अनेक बीमारियां उत्पन्न हो जाती है यह बीमारियां उसके शरीर की कार्यक्षमता पर प्रभाव डालती है धूम्रपान के द्वारा व्यक्ति के शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है इससे उसकी रक्त कोशिकाएं पर भी प्रभाव पड़ता है इससे उसका वर्तमान तो खराब होता ही है इसके साथ ही यह उसके भविष्य को भी खराब कर देता है अतः जितना भी अधिक तंबाकू व्यक्ति के द्वारा लिया जाता है वह उतना ही अधिक तनाव उत्पन्न करता है तंबाकू व्यक्ति के शरीर तथा मन दोनों के लिए अत्यंत घातक माना जाता है इसलिए जहां तक हो सके व्यक्ति इसके प्रभाव से बचे तथा इसका सेवन कम से कम करने की आदत डालें और हो सके तो इसको बिल्कुल त्याग दें