Disha Bhoomi

Modinagar तहसील क्षेत्र में ज्यादातर बड़े निजी विद्यालयों में आरटीई के तहत सीट आवंटित होने के बाबजूद भी बच्चों का निःशुल्क दाखिला नहीं हो रहा है। एक जुलाई से विद्यालयों में कक्षाओं का संचालन किया जा रहा है। अभी तक दाखिला नहीं मिलने की वजह से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
दाखिला नहीं लेने वाले कई निजी विद्यालयों को बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा दो बार नोटिस जारी किया गया था। इसके बाद भी बीएसए के नोटिस का कोई असर नहीं हुआ। जिसके बाद तहसील क्षेत्र के करीब आधा दर्जन विद्यालयों को 25 जून को जिलाधिकारी की ओर से विद्यालयों को दाखिले के लिए तीन दिन का समय देते हुए नोटिस जारी किया था। इनमें कुछ विद्यालयों ने दाखिले ले लिए, लेकिन कुछ विद्यालयों ने एक भी दाखिला नहीं लिया है।
ऐसा ही एक मामला इन दिनों यंहा चर्चा में बना हुआ है। हनुमानपुरी बस्ती निवासी निखिल की पुत्री खुशी का कई माह पूर्व आरटीई के तहत आवेदन स्वीकृत हुआ ओर उसे हापुड़ रोड़ स्थित दयावती मोदी पब्लिक स्कूल आवंटित किया गया। अभिभावकों ने प्रवेश के लिए स्कूल प्रधानाचार्या से लेकर प्रबंधकों से संपर्क किया, पहले तो उसे दो माह तक टरकाते रहे, इसके बाद जब अभिभावक बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों से मिले, तो उन्होंने स्कूल प्रधानाचार्य से संपर्क कर सख्त हिदायत दी कि आप बच्चें का प्राथमिकता के आधार पर प्रवेश ले। उसके बाबजूद भी आज तक बच्चें का प्रवेश नहीं हुआ। जिससे अभिभावक आज तक भी कभी विद्यालय तो कभी खण्ड शिक्षा अधिकारी के कार्यालय के चक्कर काट रहे है। इस संबन्ध में खण्ड शिक्षा अधिकारी जमुना प्रसाद कहते है कि जो विद्यालय आरटीई के तहत बच्चों का दाखिला नहीं ले रहे हैं उनसे दाखिले का ब्योरा मांगा गया है। जिन विद्यालयों ने एक भी दाखिला नहीं लिया है उन्हें मान्यता प्रत्याहरण की चेतावनी देते हुए आखिरी नोटिस जाएगा। जो विद्यालयों के लिए आखिरी मौका होगा। इसके बाद मान्यता प्रत्याहरण के लिए कार्यवाई की जाएगी। तहसील क्षेत्र के अभिभावक संघ द्वारा लगातार आरटीई के तहत दाखिला नहीं लेने वाले विद्यालयों पर कार्यवाई की मांग की जा रही हैं। पेरेंट्स एसोसिएशन एवं ऑल स्कूल पेरेंट्स एसोसिएशन पिछले कई माह से लगातार प्रशासनिक अधिकारियों को दाखिले कराने की मांग एवं विद्यालयों पर कार्यवाई की मांग करते हुए ज्ञापन सौंप चुके हैं। जिस पर जुलाई के प्रथम सप्ताह तक दाखिले कराने का आश्वासन दिया था। लेकिन अभी तक समाधान नहीं हो सका है।

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