देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती 2 अक्टूबर को मनाई जाती है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म एक ओर जहां दो अक्टूबर 1869 को हुआ था, तो वहीं, पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म दो अक्टूबर 1904 को हुआ था | इसलिए 2 अक्टूबर को हर साल महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मनाई जाती है और यही वजह है कि भारत के इतिहास में दो अक्टूबर के दिन का एक खास महत्व है. स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस की तरह दो अक्टूबर को भी राष्ट्रीय पर्व का दर्जा हासिल है |

लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे, लाल बहादुर शास्त्री गांधीवादी नेता थे, उन्होंने अपना पूरा जीवन गरीबों की सेवा में समर्पित कर दिया था | शास्त्री जी का जन्म  2 अक्टूबर 1904 को मुगलसराय में हुआ था. साल 1920 में लाल बहादुर शास्त्री भारत की आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए. महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में हिस्सा लेने के चलते उन्हें कुछ समय के लिए जेल भी जाना पड़ा था | आइये आज लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर उनके कुछ विचारों के बारें में बात करते है –

–  ”यदि हम लगातार लड़ते रहेंगे तो हमारी ही जनता को लगातार भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा, हमें लड़ने के बजाय गरीबी, बीमारी और अशिक्षा से लड़ना चाहिए.”

– “हम सिर्फ अपने लिए ही नहीं बल्कि समस्त विश्व के लिए शांति और शांतिपूर्ण विकास में विश्वास रखते हैं”

–  ”कानून का सम्मान किया जाना चाहिए, ताकि हमारे लोकतंत्र की बुनियादी संरचना बरक़रार रहे और हमारा लोकतंत्र भी मजबूत बने.”

– ”जब स्वतंत्रता और अखंडता खतरे में हो, तो पूरी शक्ति से उस चुनौती का मुकाबला करना ही एकमात्र कर्त्तव्य होता है. हमें एक साथ मिलकर किसी भी प्रकार के अपेक्षित बलिदान के लिए दृढ़तापूर्वक तत्पर रहना है.”

–  ”देश की तरक्की के लिए हमें आपस में लड़ने के बजाये  गरीबी, बीमारी और अज्ञानता से लड़ना होगा.”

–  ”कानून का सम्मान किया जाना चाहिए ताकि हमारे लोकतंत्र की बुनियादी संरचना बरक़रार रहे और हमारा लोकतंत्र भी मजबूत बने.”

 

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