आज संस्कृत भारती (मेरठप्रांत) की ओर से संस्कृत संभाषण वर्ग का समापन समारोह आयोजित हुआ । 10 दिनात्मक इस वर्ग का उद्घाटन 22-5-2021 में सुधाकर मिश्र जी के प्रेरणादायी वचनों से हुआ था ।
इस वर्ग में कक्षा 5 से पीएचडी तक के 16 राज्यों के 200 से अधिक छात्रों ने पंजीकरण किया । इसमें वयस्क पुरुषों की अपेक्षा वयस्क महिलाओं ने अधिक प्रतिभाग किया । इसमें प्रतिभाग करने वाले छात्रों ने संभाषण में कुशल बनाने वाली संस्कृत की सूक्ष्मताओं को सीखा । इस वर्ग के समापन के अवसर पर जनकभट्टमहोदय के शिष्य जोकि संपूर्ण वर्ग में समूह रूप में उपस्थित थे उन्होंने मृदपि च चंदन…. गीत गाया और कार्यक्रम के शुभारंभ में मंगलाचरण कर कार्यक्रम को दैवीय बनाया । रजत जी ने सरस्वतीवंदना, ज्योति जी ने ध्येयमंत्र और दीक्षाशर्मा ने पूरे समारोह को मंत्रमुग्ध कर देने वाला गीत शूरा वयम्…. गाया । गाजियाबाद और नोएडाविभाग के संघटन मंत्री नरेंद्र सैनी जी ने कार्यक्रम के प्रास्ताविक स्वरूप को बताते हुए सभी अतिथियों का परिचय कराया । डॉक्टर संगीता महोदया और अमित कुमार जी ने वर्ग में सभी का प्रतिनिधित्व करते हुए अपने अनुभव कथनों को बताया । यमुना जी के द्वारा स्वागत गीत से अभिषिक्त होकर इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित प्रांत शिक्षण प्रमुख अमित कुमार बालियान जी ने अपने वक्तव्य में बताया कि संस्कृत को पढ़कर के सबसे पहले आत्मविकास का चिंतन कीजिए क्योंकि जब तक हम अपने विकास के विषय में नहीं सोचेंगे तब तक हम संस्कृतभारती के लक्ष्य “संस्कृतं जनभाषा भवेत्” और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जी के वचनों ” छोटे-छोटे बच्चे भी संस्कृत बोलते दिखाई दें चाहे वे किसी भी बोर्ड के विद्यालय से संबंधित हों” को सार्थक नहीं कर पाएंगे । जब हम एक अच्छे छात्र होंगे तभी हम अच्छे शिक्षक बन पाएंगे ।
इस समारोह के अंतिम क्षणों में हमें गाजियाबाद जिले के जिला संयोजक और इस कार्यक्रम के अध्यक्ष गोपाल जी के द्वारा मार्गदर्शन प्राप्त हुआ जिसमें उन्होंने बताया कि हमें यदि कोई एक सूत्र में बांधता है या बांध सकता है तो वह है हमारी संस्कृति और हम अपनी संस्कृति को जानने के लिए यदि किसी भाषा का आश्रय ले सकते हैं तो वह है ‘ संस्कृत ‘। संस्कृत के अतिरिक्त इस जगत में कोई भी भाषा ऐसी नहीं है जिसे जननी के रूप में मान्यता प्राप्त हो । सबसे अधिक शब्द संपदा को अपने अंदर समाने वाली संस्कृत न केवल भारत अपितु विश्व कल्याण में भी सहायक सिद्ध हो सकती है । रुद्रांशी जी ने सर्वे भवन्तु सुखिनः इस सुंदर सुभाषित से कार्यक्रम की समाप्ति की ।
इस कार्यक्रम का संपूर्ण संचालन संस्कृत में हुआ । इस वर्ग के शिक्षक शशीकान्त जी रहे । मनीष जी , सचिन जी , उदय जी राहुल जी , मनेंद्र जी , रुद्रांश और अन्य संस्कृतभारती के दायित्ववान कार्यकर्ताओं की भूमिका इस वर्ग को सफल बनाने में सराहनीय रही ।