चित्र व चरित्र दोनों की महत्ता अलग अलग है
मानव चित्र व चरित्र दोनों की पूजा करते हैं
मानव चित्र की पूजा अपनों से बड़े जैसे माता पिता व दादा दादी इत्यादि
व अपने इष्ट की करते हैं
चित्र की पूजा क्षणिक मात्र होती है दूसरी तरफ चरित्र की पूजा स्थायी होती है
जो मानव चरित्र को ध्यान में रखकर चित्र की पूजा करते हैं वही मानव दूसरे व्यक्तित्व के आदर्शों को अनुसरण करके व सदुपयोग करके जीवन को सफल बनाते हैं
* डॉ पाँचाल