कश्मीर इलाके के वनगाम में आतंकियों से भिडंत करते हुए शहीद हुए बागपत के लुहारी गांव के लाल पिंकू कुमार का पार्थिव शरीर गांव में पहुंचा। हजारों की संख्या में लोग वीर सपूत के अंतिम दर्शन को गांव में पहुंच गए। शहीद की अंतिम यात्रा के दौरान पूरा वातावरण भारत माता के जयकारों से गूंजता रहा। वहीं गांव में दुल्हैंडी का त्योहार नहीं मनाया गया।
गांव में होली के गीतों की बजाय , वंदेमातरम और शहीद पिंकू कुमार अमर रहें का उद्घोष गूंजता रहा। गमगीन माहौल के बीच शहीद का अंतिम संस्कार किया गया। सांसद डाॅ. सत्यपाल मलिक, डीएम राजकमल यादव, एसपी अभिषेक सिंह भी गांव पहुंचे और शहीद को श्रद्धांजलि दी। सरकार की ओर से घोषित 50 लाख की आर्थिक सहायता में से 15 लाख का चेक शोकाकुल परिजनों को सौंपा। शहीद के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था। पत्नी कविता और मां कमलेश देवी पिंकू कुमार का पार्थिव शरीर देखकर बेसुध हो गई। बेटी शैली और अंजलि भी पिता के अंतिम दर्शनों के वक्त फफक कर रो पड़ीं। परिजनों ने किसी तरह उन्हें संभाला। पिता जबर सिंह और भाई मनोज कुमार के आंसू भी पिंकू कुमार के अंतिम दर्शन के वक्त नहीं थम सके। अपने पिता को मुखग्नि देते हुए नौ माह का अर्णव पूरे घटनाक्रम से अंजान रहा। उसे पता भी नहीं था कि उसके पापा अब कभी लौटकर नहीं आएंगे। पिंकू कुमार के भाई मनोज ने उसे गोद में लेकर पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दिलवाई।