मोदीनगर। सर्दी बढ़ते ही मंडी में सब्जी के दाम धड़ाम हो गए हैं। आलू, गोभी, बैंगन, लौकी, टमाटर, गाजर के दामों में भारी गिरावट आने से किसान सिर पकड़ कर बैठने को मजबूर हो गए हैं। जितना दाम मिल रहा है उसमें आमदनी तो दूर लागत अथवा मजदूरी भी हाथ नहीं आ रही है। वहीं सब्जी के फुटकर विक्रेता सब्जी को कई गुना दाम पर बेच रहे हैं।
रविवार को हापुड रोड़ स्थित सब्जी मंडी में फूलगोभी पांच रुपये किलो, बंद गोभी आठ रुपये, लौकी, गाजर 7 रुपये तथा 50 किलो आलू का बोरा 900 रुपये का बिका। गर्मी सर्दी की परवाह किए बिना रात दिन खेतों में मेहनत करने वाले अन्नदाता सब्जी के दामों में गिरावट आने से संकट के दौर में फंस गए हैं। जबकि पिछले महीने तक इन्हीं सब्जियों के दाम आसमान छू रहे थे।
सब्जी महंगी बिकती देखकर किसानों ने अपने खेतों में ताबड़तोड़ लागत लगाकर रात दिन मेहनत करके जल्दी से सब्जी की फसल तैयार की है। लेकिन, सिर मुड़ाते ही ओला पड़ने वाली कहावत चरितार्थ हो गई, यानि सब्जी के दामों में इतनी गिरावट आई की किसानों ने कल्पना भी नहीं की होगी। उधर सब्जी के रेट घटने से सब्जी की खरीद-फरोख्त करने वाले आढ़ती भी प्रभावित हो रहे हैं। वह किसानों से जितनी सब्जी खरीद रहे हैं इतनी बिक्री नहीं हो पा रही है। उधर, सब्जी के फुटकर दुकानदार गोभी दस रुपये, गाजर बीस रुपये व आलू 25 रुपये प्रति किलो की दर से बेचकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। सब्जी काट कर गेहूं की बुवाई करने के लिए किसान तेजी से आलू एवं गाजर आदि की खोदाई कर रहे हैं। एक साथ मंडी में अधिक सब्जी आने से रेटों में तेजी से गिरावट आई है।
. आढ़ती यामीन भाई का कहना है कि सब्जी के दाम गिरने से किसानों को आमदनी तो दूर मेहनत और लागत भी हाथ नहीं लग रही है। कई महीने मेहनत करके सब्जी उत्पादन करने वाले किसान खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।
. आढ़ती ताराचंद सैनी कहते है कि गोभी, लौकी, गाजर व आलू की फसल में किसानों ने रात दिन मेहनत करने के साथ सिचाई, दवाइयों का छिड़काव व नराई करने में जो लागत लगाई है वह भी नहीं लौट रही है। सब्जी के रेट ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है।
. किसान बिजेन्द्र सिंह किसान कहते है कि सब्जी के रेट घटने से सब्जी की फसल में इस बार बहुत नुकसान पहुंच रहा है। आमदनी तो दूर खर्च भी हाथ नहीं लग रहा है। सरकार को सब्जी भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदनी चाहिए।