Modinagar। हिन्दू धर्म में अक्षय तृतीया का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को आखातीज के रुप में मनाया जाता है। भारतीय जनमानस में यह अक्षय तृतीय के नाम से प्रसिद्ध है।
डाॅ0 सोनिका जैन का कहना है कि शास्त्रों में अक्षय तृतीया को स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना गया है। अक्षय तृतीया के दिन मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृहप्रवेश, व्यापार अथवा उद्योग का आरंभ करना अति शुभ फलदायक होता है। सही मायने में अक्षय तृतीया अपने नाम के अनुरूप शुभ फल प्रदान करती है। अक्षय तृतीया पर सूर्य व चंद्रमा अपनी उच्च राशि में रहते हैं। इस दिन भगवान की प्रार्थना करके हम अपने जीवन की समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं। वैशाख के समान कोई मास नहीं है, सतयुग के समान कोई युग नहीं हैं, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है। उसी तरह अक्षय तृतीया के समान कोई तिथि नहीं है। इस दिन का अबूझ मुहूर्त अपने कर्मों को सही दिशा में प्रोत्साहित करने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।