जहाँ निडरता होती है वहाँ किसी भी प्रकार का डर या भय नहीं होता

जहाँ सत्य अपने चरम पर होता है
जहाँ मानव सत्य के पथ पर चलता है वहाँ कोई डर या भय नहीं होता

जहाँ मानव अपने मन वचन कर्म के अनुसार कार्य करता है
वहाँ कोई डर या भय नहीं होता

जहाँ मानव परमेश्वर पर अपने धर्म पर पर अडिग होता है वहाँ कोई डर या भय नहीं होता

जो मानव सत्य या कटु बोलने का साहस रखता है उसे कोई डर या भय नहीं होता

* डॉ कुलदीप पाँचाल

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