कितने खुशनसीब होते हैं वे बच्चे जिन्हें मां का आंचल जमाने की हर नजर से बचाकर नाजों से पालता है। पिता की अंगुली थामे जीवन की डगर पर चलना सीखते हैं। माता-पिता बिन मांगे उनकी हर ख्वाहिश पूरी करते और अपने जिगर के टुकड़े को पढ़ा-लिखकर होशियार बनाते हैं। जिंदगी के जरूरी फैसलों पर उनके साथ खड़े रहकर हौसला देते हैं। अब जरा कल्पना कीजिए उन बच्चों की जिन्हें जन्म से माता की गोद नसीब नहीं हुई।

इन बातों को ध्यान रखकर स्कार्ड संस्था (सोशल कलेक्टिव एक्शन फॉर रिसर्च एंड डेवलपमेंट) ने अनाथ बच्चों को शिक्षण सामग्री बांटकर यह संदेश देने का प्रयास किया की शिक्षा एक ऐसा माध्यम बन सकता है जो उनके जीवन में एक नया उत्साह लाएगा.

स्कार्ड संस्था के अध्यक्ष डॉ विपिन अग्निहोत्री के मुताबिक अनाथालय में बड़े होने वाले बच्चे भावनात्मक, सामाजिक और शारीरिक बाधाएं अनुभव करते हैं।

लाइफ इज वेल संस्था के सचिव डॉ राहुल तनेजा ने इस मौके पर बताया कि इन बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए यह काफी जरूरी है कि उन्हें सही मार्गदर्शन मिले और उन्हें इस बात का भी एहसास दिलाया जाए की हर कदम पर उनका साथ देने के लिए कोई है.

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