हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाना है तो इसके लिए घर-घर में माहौल बनाना होगा। बच्चों को सिखाना होगा कि वे गुड मार्निंग नहीं, राम-राम करें। ट्विंकल-ट्विंकल लिटिल स्टार भले ही पढ़ें लेकिन मां मुझे बंदूक दिला दे, मैं भी लड़ने जाऊंगा और उठो लाल अब आंखें खोलो… को कंठस्थ करें ताकि जब बड़े हों तो मातृभाषा बोलने में गौरव का अनुभव करें… ये बातें हिंदी दिवस के अवसर पर थिएटर एंड फिल्म एसोसिएशन द्वारा आयोजित वेबिनार में वक्ताओं ने कहीं।
हिदी हैं हम अभियान के तहत आयोजित वेबिनार में शोधार्थियों, साहित्यकारों और शिक्षकों ने एक सुर में कहा कि हिंदी दुनियाभर में लोकप्रिय हो रही है। इसको सम्मान मिल रहा है। विश्व के 260 विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जा रही है। इसमें रोजगार के अवसर बढ़ने के साथ युवाओं का रुझान बढ़ रहा है। हमारी जिम्मेदारी है कि हम घर-घर में हिंदी का माहौल बनाएं ताकि अंग्रेजियत के चक्कर में बच्चे हिंदी से विमुख न हों।
इस मौके पर थिएटर एंड फिल्म वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ विपिन अग्निहोत्री ने बताया की हिंदी हमारी संस्कृति और सभ्यता में बसी हुई है। इसमें तमाम बोली और भाषाएं समाहित हैं। यह सभी को साथ लेकर चलने वाली है। हिंदी बोलने पर हमें गर्व होना चाहिए। इंटरनेट पर भी हिंदी में कामकाज तेजी से बढ़ रहा है।
हिंदी विषय की शोधार्थी पूनम ने कहा कि विश्व स्तर पर हिंदी का प्रभाव बढ़ रहा है। इस पर हमें गर्व होना चाहिए। हिंदी भारतीयता की पहचान है। हिंदी को वैश्विक स्तर पर बढ़ाने में हिंदी सिनेमा और प्रवासी साहित्य ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हिंदी में रोजगार के अवसर बढ़ना अच्छा संकेत है।
थिएटर एंड फिल्म वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव दबीर सिद्दीकी ने कहा कि इन दिनों सोशल मीडिया पर हिंदी में खूब लिखा और पढ़ा जा रहा है। हिंदी को बढ़ावा देने में शिक्षण संस्थान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।