हाइलाइट्स

काल अष्टमी पर भोलेनाथ के काल भैरव अवतार को पूजा जाता है.
कालाष्टमी पर भैरव स्तुति का विशेष महत्व है.

Kalashtami 2023 : सनातन धर्म में कालाष्टमी विशेष महत्व रखती है. धार्मिक शास्त्रों में कालाष्टमी के दिन भगवान भोलेनाथ के काल भैरव अवतार की पूजा-अर्चना करने का विधान बताया गया है. हिंदू पंचांग के अनुसार, 1 साल में 12 कालाष्टमी आती है. इस दिन भैरव बाबा की पूजा की जाती है. इस बार कालाष्टमी 8 अगस्त 2023 दिन मंगलवार को पड़ रही है. भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा के अनुसार, काल अष्टमी के दिन भैरव स्तुति का पाठ करने से हर संकट से मुक्ति मिल सकती है, साथ ही इसके पाठ से कई लाभ भी होते हैं.

काल भैरव स्तुति पाठ के फायदे

-जो व्यक्ति काल अष्टमी के दिन भैरव स्तुति का पाठ करता है, उसके जीवन से भय और नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है.
-ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिन जातकों की कुंडली में राहु का दुष्प्रभाव है, उन्हें कालाष्टमी के दिन भैरव स्तुति का पाठ करना चाहिए.
-धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो जातक काल भैरव अष्टमी के दिन इसका पाठ करता है तो उसे भगवान शिव और उनके काल भैरव अवतार का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

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भैरव स्तुति

यं यं यं यक्षरूपं दशदिशिविदितं भूमिकम्पायमानं। सं सं संहारमूर्तिं शिरमुकुटजटाशेखरं चन्द्रबिम्बम्।।
दं दं दं दीर्घकायं विकृतनखमुखं चोर्ध्वरोमं करालं। पं पं पं पापनाशं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।
रं रं रं रक्तवर्णं कटिकटिततनुं तीक्ष्णदंष्ट्राकरालं। घं घं घं घोषघोषं घ घ घ घ घटितं घर्घरं घोरनादम्।।
कं कं कं कालपाशं धृकधृकधृकितं ज्वालितं कामदेहं। तं तं तं दिव्यदेहं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।
लं लं लं लं वदन्तं ल ल ल ल ललितं दीर्घजिह्वाकरालं। धुं धुं धुं धूम्रवर्णं स्फुटविकटमुखं भास्करं भीमरूपम्।।
रुं रुं रुं रुण्डमालं रवितमनियतं ताम्रनेत्रं करालं। नं नं नं नग्नभूषं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।
वं वं वं वायुवेगं नतजनसदयं ब्रह्मपारं परं तं। खं खं खं खड्गहस्तं त्रिभुवननिलयं भास्करं भीमरूपम्।।

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टं टं टं टङ्कारनादं त्रिदशलटलटं कामवर्गापहारं। भृं भृं भृं भूतनाथं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।
इत्येवं कामयुक्तं प्रपठति नियतं भैरवस्याष्टकं यो। निर्विघ्नं दुःखनाशं सुरभयहरणं डाकिनीशाकिनीनाम्।।
नश्येद्धिव्याघ्रसर्पौ हुतवहसलिले राज्यशंसस्य शून्यं। सर्वा नश्यन्ति दूरं विपद इति भृशं चिन्तनात्सर्वसिद्धिम् ।।
भैरवस्याष्टकमिदं षण्मासं यः पठेन्नरः।। स याति परमं स्थानं यत्र देवो महेश्वरः ।।

Tags: Astrology, Dharma Aastha, Religion

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