दुनिया अब पेट्रोल डीजल से इतर नए विकल्पों की तलाश कर रही है. इसी तलाश में अब इंसानों के हाथ लगा है सिंथेटिक फ्यूल. हाल ही में इसके इस्तेमाल से एक प्लेन उड़ाया गया, जिसके बाद ये चर्चा तेज हो गई कि क्या सिंथेटिक फ्यूल को डीजल पेट्रोल का विकल्प बनाया जा सकता है. दरअसल, ब्रिटिश रॉयल एयरफोर्स के एक पायलट ने सिंथेटिक फ्यूल से एक प्लेन उड़ा कर गिनीज़ रिकॉर्ड बना दिया है. इस सफलता ने दुनिया भर की उन कंपनियों का उत्साह बढ़ा दिया जो सिंथेटिक फ्यूल पर काम कर रही हैं.

कहां कहां चल रहा है सिंथेटिक फ्यूल पर काम?

सिंथेटिक फ्यूल पर इस वक्त स्पेन, अमेरिका और चिली जैसे देशों में तेजी से चल रहा है. इन देशों को इस सिंथेटिक फ्यूल में भविष्य दिख रहा है. दरअसल, क्लाइमेट चेंज पर जिस तरह से जोर दिया जा रहा है उसे देखते हुए सिंथेटिक फ्यूल पर काम ज्यादा तेजी से किया जा रहा है. संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटारेस ने बार-बार अपने संदेशों में कहा है कि हम जलवायु परिवर्तन के मामले में आपदा की ओर तेज़ी से बढ़ रहे हैं. इसलिए तमाम देश इसके विकल्पों पर ध्यान दें.

सिंथेटिक फ्यूल आखिर है क्या चीज?

दरअसल, रासायनिक रूप से देखा जाए तो सिंथेटिक फ्यूल और फासिल फ्यूल एक ही चीज है. ये एक तरह का हाइड्रोकार्बन है. दरअसल, हाइड्रोकार्बन एक अणु होता है जो हाइड्रोजन और कार्बन से मिलकर बना होता है. आम तौर पर देखा जाए तो होता ये है कि धरती से तेल निकाला जाता है फिर उसे रिफाइन किया जाता है और इस प्रक्रिया से हमें पेट्रोल, डीज़ल और केरोसिन जैसी चीजें मिलती हैं. लेकिन वहीं सिंथेटिक फ़्यूल के मामले में हाइड्रोजन और कार्बन दूसरे स्रोतों से लिया जाता है.  और फिर इनके माध्यम से तैयार होता है हमारा सिंथेटिक फ्यूल जो पर्यावरण के लिए भी उतना खतरनाक नहीं है.

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