कहते हैं प्रेम किसी सरहद का मोहताज नहीं होता…लेकिन प्रेम में कोई शर्त भी नहीं होनी चाहिए. भारत से पाकिस्तान गई अंजू ने अब इस्लाम अपना लिया है और फातिमा बन गई हैं. उन्होंने वहां फातिमा बन के अपने प्रेमी नसरुल्लाह से निकाह भी कर लिया है. लेकिन अब इस पर सवाल उठ रहे हैं कि जब कुछ दिनों पहले तक अंजू ये कह रही थीं कि वह शादी के लिए इस्लाम कुबूल नहीं करेंगी, तो ऐसा क्या हुआ कि उन्हें अपने प्रेमी से शादी करने के लिए इस्लाम कुबूल करना पड़ा. क्या उन पर किसी तरह का दबाव बनाया गया?

ये सवाल इसलिए क्योंकि पाकिस्तान में कट्टरपंथी सोच के लोग किसी शादी को तब तक मान्यता नहीं देते जब तक कि लड़का या लड़की, जो गैर मजहब से हो इस्लाम ना कुबूल कर ले. दरअसल, पाकिस्तान में हिंदुओं का धर्मांतर कोई नई बात नहीं है. खासतौर से महिलाओं और लड़कियों के मामले में ये रिपोर्ट और भी खराब है. वहां से आए दिन खबरें आती रहती हैं कि कैसे 14 से 16 साल की लड़कियों का जबरन धर्मांतरण करा कर उन्हें किसी अधेड़ उम्र के मुस्लिम युवक से शादी के लिए विवश किया जाता है.

आजादी के बाद से अब तक कितने हिंदुओं का धर्मांतरण हुआ?

न्यूयॉर्क टाइम्स ने इस सवाल पर एक विस्तृत रिपोर्ट छापी है, हम उसके कुछ अंश यहां आपको बता रहे हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में कई हिंदुओं ने आजादी के बाद से अब तक इस्लाम को कुबूल कर लिया है. कुछ ने ऐसा सामाजिक दबाव में आकर किया तो कुछ लोगों को जबरन ऐसा करने पर मजबूर किया गया. आजादी के वक्त यानी 1947 में पाकिस्तान में हिंदुओं की कुल आबादी 20.05 पर्सेंट थी… जो 1988 आते आते 1.6 पर्सेंट पर पहुंच गई. ये आंकड़े पाकिस्तान के 1998 की जनगणना के हैं.

वहीं 2017 में जो जनणना हुई उसके मुताबिक, पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी लगभग 45 लाख थी. यानि पाकिस्तान की कुल जनसंख्या का 2.14 प्रतिशत. जबकि, मुस्लिमों की आबादी पाकिस्तान में 96.47 प्रतिशत है. हिंदुओं की जनसंख्या की तुलना अगर आजादी के समय से हम करें तो ये बेहद कम है. विशेषज्ञ ऐसा मानते हैं कि इनकी जनसंख्या में आई कमी के पीछे एक बड़ा कारण धर्मांतरण है.

अलग-अलग समय पर कई बार धर्मांतरण हुए?

पाकिस्तान में हिंदुओं के धर्मांतरण की बात बेहद आम है. कई बार तो ये मीडिया की नजर में भी नहीं आता. हालांकि, कुछ ऐसे किस्से जरूर हैं जो मीडिया की नजरों में आए और इस पर पूरी दुनिया में चर्चा हुई. जैसे साल 2020 में पाकिस्तान की एक एक्टिविस्ट ने क्लेम किया था कि वहां के सिंध प्रांत में एक दिन में ही 171 लोगों को इस्लाम कुबूल कराया गया. इसमें हिंदू महिलाएं, बच्चियां और मर्द शामिल थे. एक्टिविस्ट राहत ऑस्टिन का कहना था कि इस बड़े धर्मांतरण के पीछे कट्टरपंथी नूर अहमद तशर का हाथ था.

वहीं मई 2023 में एक रिपोर्ट आई जिसके अनुसार, पाकिस्तान में एक साथ 50 लोगों ने हिंदू धर्म को छोड़कर इस्लाम कुबूल कर लिया. इसमें कुल 10 परिवार शामिल थे. वहीं महिलाओं की बात करें तो इसमें 23 महिलाएं थीं, जिसमें एक साल की एक बच्ची भी थी. द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, इस धर्मांतरण को मोहम्मद शमरोज खान ने कराया था.

ह्यूमन राइट कमीशन की रिपोर्ट क्या कहती है?

ह्यूमन राइट कमीशन पाकिस्तान की एक रिपोर्ट की मानें तो पाकिस्तान में हर साल लगभग 1000 लड़कियों का धर्मांतरण जबरन कराया जाता है. इनमें ज्यादातर बच्चियों की उम्र 14 से 20 साल के बीच होती है. कई रिपोर्ट्स दावा करते हैं कि पहले इन बच्चियों को अगवा किया जाता है और फिर उन्हें धमका कर, डरा कर उनका धर्मांतरण कराया जाता है और फिर उनका किसी मुस्लिम युवक से निकाह करा दिया जाता है.

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