धोर्रा माफी गांव में पक्के मकान, 24 घंटे बिजली-पानी और कई इंग्लिश मीडियम स्कूल और कॉलेज हैं. यहां के लोग खेती के बजाय नौकरी पर निर्भर हैं. इस गांव के लोगों में करीब 90 फीसदी से अधिक लोग साक्षर हैं. गांव के करीब 80 फीसदी लोग देशभर में कई बड़े पदों पर तैनात हैं, जैसे कि डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, प्रोफेसर और आईएएस अफसर आदि.(सांकेतिक तस्वीर)