ब्रह्मांड को लेकर जिज्ञासा मनुष्य में आज से नहीं सैकड़ों साल से चली आ रही है. इंसानी सभ्यता के विकास और उसकी धर्मिकता का बोध सब कुछ इसी ब्रह्मांड से ही उपजा है. हम हर रोज छत पर खड़े हो कर आसमान की और देखते हैं और उसे समझने की कोशिश करते हैं. लेकिन क्या आपने कभी ये सुना है कि आखिर ब्रह्मांड बोलता कैसे है. क्या उसमें से कोई आवाज भी आती है. क्योंकि रात के अंधेरे में आसमान एक दम सन्न रहता है. लेकिन ठहरिए, खुशखबरी है. एक लंबे इंतजार के बाद दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने पहली बार गुरुत्वी तरंगों की गूंज सुनी है. जिसे ब्रह्मांड की आवाज कहा जा रहा है.

दशकों से हो रही थी कोशिश

दुनियाभर के वैज्ञानिक दशकों से कोशिश कर रहे थे कि वो इन गुरुत्वी तरंगों की गूंज सुन सकें. इसके लिए वो कब से तेजी से घूमते तारों पर अपनी नजर गड़ाए हुए थे. हालांकि, अंत में वैज्ञानिकों ने ब्लैक होल की टक्करों के कारण पैदा हुए गुरुत्वी तरंगों की आवाज सुन ली.

अब इस गूंज का स्त्रोत ढूंढा जा रहा है

विस्कॉन्सिन मिलवाउकी यूनिवर्सिटी की सारा विगेलैंड का इस गूंज को लेकर कहना है कि अब वैज्ञानिकों के पास गुरुत्वी तरंगों की गूंज के सबूत हैं. लेकिन उन्हें नहीं पता है कि आखिर इसका स्त्रोत क्या है. अब वैज्ञानिक इसी स्त्रोत को ढूंढने में लगे हुए हैं. ब्लैक होल से आने वाली बात भी अभी सिर्फ संभावना है. इसे अभी तक सत प्रतिशत सही नहीं माना गया है.

आइंस्टीन का सिद्धांत सही साबित हुआ

अल्बर्ट आइंस्टीन ने इसके बारे में दशकों पहले ही बता दिया था. अल्बर्ट आइंस्टीन का सापेक्षता का सिद्धांत इसी पर टिका हुआ है. इसी को आधार मान कर साल 2015 में वैज्ञानिकों ने गुरत्वी तरंगों का पता लगाने की कोशिश शुरू की. सोचिए ये कोशिश 2015 के बाद जा कर अब सफल हुईं. जब इन तरंगों की आवाज वैज्ञानिकों ने सुनीं तो दुनियाभर के वैज्ञानिकों के लिए ये एक नई आवाज थी, जिसे सुन कर सब खुशी से उछल पड़े.

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