कोच्चि. मिडफील्डर इंदुमति काथिरेसन (Indumathi Kathiresan) को भारतीय महिला टीम के साथ शुरुआती दिनों में भाषा के कारण मैदान में आपसी संवाद में काफी जूझना पड़ा. इंदुमति का मानना है कि आगामी एएफसी एशियाई कप में यही सफलता के लिए अहम होगा. भारत 20 जनवरी से 6 फरवरी तक महाराष्ट्र के तीन स्थलों में इस महाद्वीपीय टूर्नामेंट की मेजबानी करेगा. अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के अनुसार इंदुमति ने कहा, ‘जब आप मिडफील्ड पर खेलते हो तो मैदान पर आपसी संवाद काफी अहम होता है.’

उन्होंने कहा, ‘लोग दूसरों की चूक बताकर गलती करते हैं. जब मैदान पर मेरी टीम की साथी मेरी आंखों में देखती हैं तो उन्हें जानना चाहिए कि अगर वे गलती करती हैं तो मैं उनकी मदद करूंगी. जब मैं उनकी आंखों में देखूं तो उन्हें भी ऐसा ही करना चाहिए.’ दिहाड़ी मजदूर की बेटी इंदुमति ने एक महीने तक राष्ट्रीय टीम के ट्रायल्स कैंप में बुलाए जाने की बात याद करते हुए कहा कि वह भाषा के कारण अपनी टीम की किसी भी साथी से सही से संवाद नहीं कर पाती थीं.

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उन्होंने कहा, ‘मैं राष्ट्रीय टीम ट्रायल के लिए 50 लड़कियों में शामिल थी लेकिन मैं अकेली तमिलनाडु से थी. कोई भी लड़की तमिल नहीं बोलती थी और मैं ना तो हिंदी और ना ही अंग्रेजी बोल पाती थी. इसलिए मैं किसी से भी संवाद नहीं कर पाती थी. एक महीने तक ऐसा नहीं कर पाना वास्वत में मुश्किल है. कभी कभी मैं अपनी मां को फोन करके रोती थी और वह मुझे वापस आने के लिए कहती लेकिन मैं जानती थी कि मैं ऐसा नहीं कर सकती थी. अन्य खिलाड़ी जो कहती, उसे मैं ज्यादा समझ नहीं पाती, मैं सिर्फ मुस्कुराती और सिर हिलाकर खेलती रहती.’

इंदुमति ने कहा, ‘मुझे काफी बदलना पड़ा. सभी कोचों ने मुझसे कहा कि मुझे अन्य खिलाड़ियों से बात करने की जरूरत है क्योंकि फुटबॉल ऐसा खेल है जिसमें संवाद जरूरी है. इसलिए मैंने सीखना शुरू किया और अब मैं ऐसा कर सकती हूं.’ तमिलनाडु पुलिस की सब इंस्पेक्टर इंदुमति ने कभी नहीं सोचा था कि वह एक दिन एएफसी महिला एशियाई कप जैसे टूर्नामेंट में भारतीय टीम की ओर से खेलेंगी.

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