Modinagar | महाराजा सूरजमल की याद मे उनके 260 वे बलिदान दिवस की पूर्व संध्या पर महाराजा सूरजमल अखाडा द्वारा श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया तथा उनके चित्र पर फूल माला अर्पित कर दीप प्रज्ज्वलित किया गया। बाबा परमेन्द्र आर्य ने बताया क्षत्रियों को महाराजा सूरजमल की युद्ध नीति को पढ़ना चाहिए। महाराजा सूरजमल ने अपने जीवन मे कोई भी लडाई नहीं हारी थी। महाराजा सूरजमल के बचपन का नाम सुजान सिंह था। उन्हें रविमल्ल के नाम से भी जाना गया है। रवि मतलब सूर्य और मल्ल मतलब पहलवान महाराजा सूरजमल पहलवानी के बहुत शौकीन थे। राम नारायण आर्य ने कहा कि भारत के इतिहास मे महाराजा सूरजमल का योगदान अतुलनीय है । जिस तरह से उन्होंने निहत्थे किसानों के जत्थे को विश्व की अपराजेय सेना मे परिवर्तित किया वह उनके युद्ध कौशल का आदित्य उदाहरण है। उन्ही के पद चिन्हांे पर चलकर भरतपुर के राजवंश व जनता सदैव आक्रांताओं से देश की आजादी व मानवता की रक्षा के लिए लड़ते रहें। इस अवसर पर गंगाराम श्योराण, मनोज चौधरी, विरेन्द्र सिंह, मनोज कलकल, रितिक, अमरजीत, ओमकारी, सुभी चौधरी, अंतिम आदि उपस्थित रहें ।

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